सोमवती अमावस्या पर शिप्रा  नदी में स्नान  सोमकुंड पर फव्वारे  से स्नान किया शिप्रा नदी का जल स्तर बढ़ने के कारण किसी भी श्रद्धालु को घाट पर स्नान के लिए नही जाने दिया गया 

दैनिक अवंतिका
उज्जैन। भादो मास की सोमवती अमावस्या पर सोमवार को मोक्षदायिनी शिप्रा नदी का जल स्तर बढ़ने के कारण किसी भी श्रद्धालु को घाट पर स्नान के लिए नही जाने दिया गया। शिप्रा घाट की ओर जाने वाले रास्ते में बेरिकेट्स लगाकर यहां पुलिस जवानों की ड्यूटी लगाई है। और पूरे दिन शिप्रा नदी के घाटों की विशेष चौकसी रखी गई।वहीं सोमतीर्थ स्थित सोमकुंड में फव्वारें लगाकर पर्व स्नान कराया गया। ग्रामीण क्षेत्र के श्रद्धालुओं ने सोमकुंड पर स्नान कर तीर्थ पर दान पुण्य तथा पितृ कर्म किया। इस दौरान महाकाल मंदिर सहित शहर के अन्य मंदिरों में भी दर्शन के लिए भीड़ लगी रही। संयोग से सोमवार को बाबा महाकाल की शाही सवारी होने से श्रद्धालुओं की भीड़ देर शाम तक शहर में रही। और पूरे दिन उज्जैन में भक्ति मय माहौल बना रहा।
धार्मिक नगरी उज्जैन में सभी त्यौहारों का विशेष महत्व होता है। सोमवार को सोमवती अमावस्या होने से शिप्रा नदी के अलावा पुल के दूसरी ओर सोमतीर्थ पर कुंड में स्नान करने की परंपरा है। इस
बार शिप्रा नदी का जल स्तर बढने के कारण शिप्रा नदी के किसी भी घाट पर श्रद्धालुओं को प्रवेश नही दिया। सुबह से ही प्रशासन व पुलिस प्रशासन के अधिकारी घाट के ऊपर तैनात होकर घाट की ओर जाने वाले मार्ग पर बेरिकेट्स लगाकर रोक दिया था। वहीं सोमकुंड पर प्रशासन द्वारा ग्रामीण जनों की सुविधा के लिए कुंड के ऊपर ही फव्वारे लगाकर महिला-पुरूषों के लिए अलग-अलग स्नान की व्यवस्था की थी। स्नान के बाद महिला श्रद्धालुओं को वस्त्र बदलने के लिए शामियाने लगाए गए थे। सोमवती का स्नान सुबह से ही शुरू हो गया था। शिप्रा घाट पर रहने वाले पंडितों ने शिप्रा तट के घाट के ऊपर धर्मशाला में पितरो के निमित्त पिंडदान व तर्पण कराया।
श्रद्धालुओं ने स्नान कर दान  पुण्य किया
सोमवती अमावस्या पर सोमतीर्थ स्थित सोमकुंड में स्नान तथा इसके उपरांत श्री सोमेश्वर-जलपेश्वर महादेव के दर्शन व पूजन का विधान है। मान्यता है इससे मनुष्य के जन्म पत्रिका में मौजूद चंद्रमा के दोष समाप्त होते है। साथ ही अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान, पूजन के बाद बाहर बैठे भीक्षुकों को दान-पुण्य किया।

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