प्रमुख राजसी सवारी रामघाट से मंदिर समिति के समय से पहले ही पूजन कर नगर भ्रमण पर निकली रामघाट पर मोक्षदायिनी के जल से पूजन, गोपाल मंदिर पर स्टेट का पूजन,हरि-हर मिलन -शाम होते ही शहर में दुकानें मंगल हुईं,पुराने शहर का आवागमन सवारी मार्ग की और ही रहा,गलियां जाम रही

दैनिक अवंतिका

उज्जैन। भगवान श्री महाकालेश्वर की सोमवार को अमावस्या के योग में निकली प्रमुख राजसी सवारी का रामघाट पर मोक्षदायिनी शिप्रा के जल से पूजन किया गया। इसके बाद सिंधिया देवस्थान ट्रस्ट के द्वारकाधीश श्री गोपाल मंदिर में पूजन किया गया। यहां पर हरि-हर मिलन हुआ । मंदिर समिति की और से सवारी का समय चार्ट जारी किया गया था, इसके रामघाट पर निर्धारित समय से पहले ही पूजन कर पालकी नगर भ्रमण पर निकल गई ।ये क्रम रहा दलों का-श्री महाकालेश्वर भगवान की प्रमुख सवारी (शाही सवारी) के चल समारोह में सबसे आगे मंदिर का प्रचार वाहन चलेगा । यातायात पुलिस, तोपची, भगवान श्री महाकालेश्वर जी का रजत ध्वज, घुडसवार, विशेष सशस्त्र बल सलामी गार्ड, स्काउट / गाइड सदस्य , कांग्रेस सेवा दल , सेवा समिति बैंड के बाद ,70 से अधिक भजन मंडलियां के बाद नगर के साधू-संत व गणमान्य नागरिक, पुलिस बैंड, नगर सेना के सलामी गार्ड की टुकड़ी, श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी व पुरोहितगणके बाद श्री महाकालेश्वर भगवान (श्री चंद्रमोलीश्वर) की प्रमुख पालकी , भारत बैंड, श्री गरुड़ रथ पर श्री शिव-तांडव जी, रमेश बैंड, नंदी रथ पर श्री उमा महेश स्वरुप, गणेश बैंड, रथ पर श्री होल्कर स्टेट मुखारविंद, आर.के.बैंड , रथ पर श्री घटाटोप जी , रथ पर श्री सप्तधान मुखारविंद के पश्यात राजकाल मुजिकल ग्रुप बैंड, व श्री मनमहेश स्वरुप हाथी पर विराजित रहे। सवारी के साथ एम्बुलेन्स, विद्युत कंपनी का वाहन, फायर ब्रिगेड वाहन रहे ।गुदुम बाजा लोक नर्तक दल शामिल हुआ-राजसी सवारी में  मध्यप्रदेश के लालपुर, डिंडोरी जिले का आदिवासी धुलिया जनजाति गुदुम बाजा लोक नर्तक दल लाल वस्त्रों एवं काली पट्टे डाले शामिल हुआ। पालकी के आगे दल अपनी प्रस्तुति देते हुए चला। गुदुम बाजा डिंडोरी, मंडला, शहडोल आदि जिलों में रहने वाले जनजातियों का अत्यन्त पारम्परिक वाद्य है । गुदुम बाजा जनजातीय समाज के मांगलिक उत्सवों, मडई मेला, धार्मिक उत्सवों इत्यादि अवसरों पर धुलिया जनजाति के पुरुष वर्ग द्वारा बजाया जाता है ।नंदीश्वर को स्वर्ण सिंग अर्पित -इंदौर के श्रद्धालु आनंद नायक ने मन्दिर के नंदी मंडपम में भगवान के समक्ष स्थापित श्री नंदीकेश्वर को स्वर्ण सिंग अर्पित किए। जिसका वजन 25 ग्राम 230 मिलीग्राम  है। कोठार शाखा प्रभारी मनीष पांचाल ने कि,  स्वर्ण सिंग श्री नंदीकेश्वर भगवान को लगा दिए गए।रंगोली दल भी आगे-आगे-सवारी के आगे आगे रंगोली दल भी बराबर मार्ग को आकर्षक बनाने में लगा रहा। इसमें मार्ग पर आकर्षक रंगोली बनाई जा रही थी। आकर्षक रंगों से मार्ग को सजाया जा रहा था। रंगोली बनाने वाला दल आकर्षक रंगोली को मात्र कुछ मिनटों में आकार दे रहा था। इसमें विभिन्न रंगों की रंगोली का उपयोग किया जा रहा था।मुख्यमंत्री ने सपत्निक पूजन अर्चन किया-मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने सोमवार को सोमवती अमावस्या के अवसर पर भगवान महाकालेश्वर के मंदिर में पहुंचकर भगवान महाकालेश्वर के दर्शन किए और सपत्नीक पूजन अर्चन किया।  पूजन  पुजारी राजेश शर्मा व पुजारी आकाश शर्मा ने संपन्न करवायी गई। नंदी हॉल में मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष एवं कलेक्टर नीरज कुमार सिंह एवं प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने मुख्यमंत्री को शाल व प्रसाद, व भगवान श्री महाकालेश्वर का चित्र भेंटकर सम्मान किया। मुख्यमंत्री ने चांदी द्वार पर श्री वीरभद्र भगवान के पूजन के पश्यात श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में स्थित श्री वृद्ध कालेश्वर (जूना महाकालेश्वर) मंदिर और श्री अनादिकल्पेश्वर मंदिर पहुंचकर भी दर्शन किये और पूजा अर्चना की।अब भस्मार्ती हेतु प्रातः 04 बजे खुलेंगे पट-श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण-भाद्रपद माह के पश्चात श्री महाकालेश्वर भगवान की भस्मार्ती हेतु श्री महाकालेश्वर भगवान के पट प्रातः 04 बजे खुलेंगे। मंदिर प्रबंध समिति की पूर्व में जारी विज्ञप्ति के अनुसार श्रावण भादौ मास में सोमवार को निकलने वाली सवारी को देखते हुए रात 2.30 बजे पट खोले जा रहे थे।आकर्षक रहे दल-इस बार राजसी सवारी में भजन मंडलियां आकर्षक रही। भजन मंडलियों के दल ने अलग-अलग रंगों के वस्त्र धारण किए थे और भजन करते चल रही थी। इसी प्रकार से झांझ एवं डमरू दलों ने भी विशेष रूप से श्रद्धालुओं में आकर्षण लिए रहे। किसी दल में सदस्यों ने हरे रंग के वस्त्र धारण किए थे तो किसी दल के सदस्य ने नील,पीले,केसरिया,श्वेत रंग के वस्त्रों को धारण किए हुए थे। 32 वीं वाहिनी विशेष सशस्त्र बल के बैंड ने सफेद वस्त्र के साथ गले में केसरिया दुपट्टे डाल रखे थे। मार्च पास्ट कर रही पुलिस टुकडी ने आकर्षक साफा धारण किया हुआ था। मंदिर समिति की और से मंडलियों को क्रमांक भी दिए गए थे।अनेक स्वरूप धारण किए –भजन मंडलियों में शामिल भक्त महिलाओं के भजन और भगवान के प्रति श्रद्धा और आस्था देखते ही बन रही थी। मंडलियों में कुछ भक्तों को विशेष स्वरूपों में सजाया गया था। इनमें मां शक्ति,शिव, श्री कृष्ण-राधा तो मां काली, चंड-मुंड ,दशानन,नंदी, भगवान श्री हनुमान के रूप में सजे हुए थे।समय पूर्व निकली सवारी कई स्थानों से-मंदिर प्रबंध समिति ने राजसी सवारी के लिए समय अनुसार चार्ट बनाया था। इस चार्ट के अनुसार सवारी रामघाट पर जल्दी पहुंची थी और  पूजन उपरांत सवारी प्रस्थित हो कर समिति के चार्ट से पूर्व ही अनेक स्थानों से होती हुई 6 बजे कार्तिक चौक में पहुंच गई थी।कई स्थानों पर श्रद्धालुओं ने बेरिकेटस खोले-सवारी के पूरे 7 किलोमीटर मार्ग में पुलिस ने अधिकांश क्षेत्र में बेरिकेडिंग की थी। इन्हें आपस में बांधा गया था। सवारी के शुरू होने और मंडलियों के निकलने के दौरान कई स्थानों पर श्रद्धालुओं ने अपनी सुविधाअनुसार बेरिकेडस को खोल दिया था और इधर उधर कर दिया गया था। इसके चलते कई स्थानों पर अव्यवस्था के आलम व्याप्त हो गए थे।गोपाल मंदिर पर बैंड ने आरती कुंज बिहारी की बजाया-श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर के समक्ष पुलिस बैंड ने पहुंचने पर आरती कुंज बिहारी की श्री कृष्ण मुरारी की धून छेडी तो कई श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। श्री गोपाल मंदिर पर आकर्षक विद्युत सज्जा की गई थी। इससे पूर्व मंदिर में 7.5 बजे संध्या आरती की गई थी। इस दौरान भी बडी संख्या में श्रद्धालुओं ने आरती में भाग लिया था। श्री द्वारकाधीश गोपाल भगवान के स्वरूप की एक झलक देखने के लिए श्रद्धालु मंदिर के सामने से होकर निकल रहे थे। भगवान का मनोहारी स्वरूप के अंचल से आए श्रद्धालुओं ने जमकर दर्शन किए। सवारी में शामिल दलों ने यहां भी जमकर भजन गाए और झांझ,डमरू बजाए।सवारी में चले सिंधिया झांझ,डमरू बजाए,पूजन किया-केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पुत्र महाआर्यमन के साथ राजसी प्रमुख सवारी में शामिल होने के लिए उज्जैन आए थे। उन्होंने सवारी में शामिल होकर भजन मंडलियों के साथ झांझ बजाए तो उनके पुत्र महाआर्यमन ने डमरू बजाया। रात में पालकी के श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर के समक्ष पहुंचने पर स्टेट की और से पूजन किया गया। श्री सिंधिया ने पालकी में विराजित भगवान श्री चंद्रमोलेश्वर का पूजन आरती की । इस दौरान हरि-हर मिलन भी हुआ। पूजन उपरांत पालकी के प्रस्थान करने के बाद भगवान श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर के गर्भगृह में भी पूजन किया गया।