एम सैंड नीति से नदियों से अवैध खनन को रोकने की तैयारी

उज्जैन। प्रदेश की मोहन यादव सरकार अब नदियों से होने वाले अवैध रेत खनन को रोकने की तैयारी कर रही है और इसके लिए एम सेंड
नीति बनाई गई है। बता दें कि उज्जैन जिला भी अवैध खनन से अछूता नहीं है और कई बार ऐसे मामले सामने आ चुके है लेकिन अब सरकार इस दिशा में
सख्ती बरतने का काम कर रही है।
दरअसल मध्य प्रदेश ऐसा प्रदेश बन चुका है, जिसकी पहचान अवैध रेत उत्खनन वाले प्रदेश के रुप में होती है। प्रशासन की मिली भगत और राजनैति संरक्षण की मदद से बैखोफ होकर रेत माफिया जमकर अवैध खनन कर रहा है। यह काम सर्वाधिक दूसरे राज्यों की लगी सीमा वाले इलाकों में होता है। प्रदेश की नदियों में हो रहे रेत के अवैध खनन को रोकने के लिए सरकार एम-सैंड (मैन्युफैक्चर्ड सैंड) को प्रोत्साहित करने पर बल देगी। राज्य सरकार एम-सैंड नीति बनाने जा रही है, जिससे प्राकृतिक रेत और मौरंग के एक नए विकल्प की उपलब्धता होगी। सरकार की मंशा है कि पर्यावरण एवं नदियों के इकोसिस्टम को बिना नुकसान पहुंचाए सस्टनेबल विकास को गति दिया जाए। इस दृष्टि से एम-सैंड एक बेहतर माध्यम है। नदी तल से प्राप्त होने वाली रेत की सीमित मात्रा और इसकी बढ़ती मांग के दृष्टिगत एम- सैंड को नदी तल से प्राप्त होने वाली रेत के विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इससे रोजगार के भी नए अवसर सृजित होंगे। जानकारी के अनुसार पर्यावरण और नदियों के संरक्षण के लिए सरकार एम-सेंड (मैन्यूफेक्चर्ड सैंड यानी पत्थर से बनने वाली रेत) को बढ़ावा दे रही है। इससे नदियों से रेत लेने की निर्भरता कम होगी। इसके साथ ही बारिश के दौरान घर बनाने वालों को सस्ती रेत मिलेगी। सरकार एम-सेंड नीति तैयार कर रही है, यह नीति अगले माह बनकर तैयार हो जाएगी। इसकी ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। प्रदेश में प्रति वर्ष सवा करोड़ घन मीटर रेत की जरूरत होती है। सरकार ने प्रदेश के 44 जिलों में स्थित 1,093 रेत खदानों से 3 करोड़ 11 लाख घन मीटर रेत तीन वर्ष के अंदर निकालने के लिए अनुबंध किया है। इसमें सबसे ज्यादा 64 लाख घन मीटर रेत नर्मदापुरम जिले में स्थित रेत खदानों से निकाली जाती है।