किसानों के लिए नई पहल….. यूनिक किसान आईडी कार्ड देने की तैयारी

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने देश के करोड़ों किसानों के लिए नई पहल शुरू कर दिया है.  अब सरकार किसानों को यूनिक किसान आईडी कार्ड  देने की तैयारी कर रही है यह कार्ड आधार कार्ड  जैसा ही होगा .

सरकार की पूरी कोशिश है कि अगले तीन साल तक सभी किसानों के पास यूनिक किसान आईडी कार्ड हो। वहीं, चालू वित्त वर्ष को लेकर सरकार का लक्ष्य है कि 6 करोड़ किसानों के पास यूनिक किसान आईडी कार्ड पहुंच जाए। यह कार्ड राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा बनाया जाएगा। यह कार्ड के जरिये किसानों की मॉनिटरिंग करने में मदद करेगा।
सरकार का प्रयास है कि अगले तीन साल तक यह यूनिक फार्मर कार्ड सभी किसानों को मिल जाए. सरकार का लक्ष्य है कि साल 2024-25 में देश के छह करोड़ किसानों तक यह कार्ड पहुंच जाए. यह कार्ड अलग-अलग राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के द्वारा बनाए जाएंगे और मॉनिटरिंग की जाएगी. इस कार्ड से संबंधित किसान की जमीन का रिकॉर्ड रहेगा. साथ ही उसके पास कितने मवेली हैं और उसने किस फसल की खेती की है, इसकी पूरी जानकारी रहेगी.

इस कार्ड के जरिए देश के किसानों को एक विश्वसनीय डिजिटल पहचान उपलब्ध कराया जाएगा. यह देश के कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण विशेषता होगी. इसे डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) के रूप में डिजाइन किया गया है, ताकि किसानों को फसल बीमा और फसल लोन जैसी सेवाओं का लाभ उठाने में किसी प्रकार की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े. किसानों के यूनिक कार्ड  में उनकी रजिस्ट्री के अलावा उनके गांव के जमीन के नक्शे की जानकारी, उनके द्वारा बोई गई फसल की जानकारी दर्ज होगी.  बता दें कि डिजिटल कृषि मिशन नामक योजना के तहत केंद्र सरकार ने पहले देश के 11 करोड़ किसानों का डिजिटल पहचान बनाने की योजना बनाई है. सरकार का प्रयास है कि अगले साल मार्च तक छह करोड़ किसानों को यह सुविधा मिल जाए जबकि तीन करोड़ किसानों को यह सुविधा 2025-26 के दौरान और बाकी बचे दो करोड़ किसानों को 2026-27 तक यह सुविधा मिल जाएगी. सरकार के पास पहले से ही देश के 11 करोड़ उन किसानों का डेटा है जो पीएम किसान योजना से जुड़ कर उसका लाभ ले रहे हैं. डिजिटल फसल सर्वेक्षण से जो डाटा प्राप्त होगा, किसान उसका इस्तेमाल वैज्ञानिक रूप से फसलों की कटाई के लिए कर सकेंगे ताकि उत्पादन का सटीक अनुमान मिल सके. इससे कृषि उत्पादन की सटीकता बढ़ेगी. इसका एक फायदा यह भी होगा की प्राकृतिक आपदा के दौरान हुए फसल नुकसान का भी सटीक आकलन किया जाएगा. इसका जमीनी सर्वेक्षण करने का खर्च बचेगा और किसानों को सही समय पर नुकसान की भरपाई भी की जाएगी. साल 2024-25 के दौरान 400 जिलों में डिजिटल फसल सर्वेक्षण पूरा किया गया और बाकी जिलों में 2025-26 में कर लिया जाएगा.