हे गणपति बप्पा रिद्धी सिद्धी सहित पधारों… सुबह से शुरू हुआ गणेश मूर्तियों को लाने का सिलसिला

दस दिनों तक होगी पूजा अर्चना… प्रमुख गणेश मंदिरों में आस्थावानों का तांता लगा

ब्रह्मास्त्र उज्जैन

आज गणेश चतुर्थी है और इस अवसर पर सुबह से ही शहर में उत्साह दिखाई दे रहा है। सुबह से ही गणेश मूर्तियों को घरों और पांडालों में लाने का सिलसिला शुरू हो गया था। हालांकि एक दिन पहले शुक्रवार को भी गणेश मूर्तियां लेकर लोग आते रहे लेकिन आज सुबह ढोल ढमाकों और गाजे बाजे के साथ बप्पा को लाकर स्थापित करने का सिलसिला शुरू हो गया था।

गणेश चतुर्थी के साथ ही दस दिनों तक गणेशोत्सव मनाने का भी सिलसिला शुरू हो गया है। आज दोपहर में शुभ मुर्हूत में पूजा अर्चना की जा रही है तथा आरती पूजा का क्रम अब प्रति दिन सुबह और शाम को जारी रहेगा। पूजा अर्चना के दौरान हे गणपति बप्पा रिद्धी सिद्धी सहित पधारों और सुख समृद्धि का आशीर्वाद दो जैसी प्रार्थना भी श्रद्धालुओं द्वारा की गई। इधर आज सुबह से ही चिंतामण गणेश, मंछामन गणेश सहित अन्य प्रमुख गणेश मंदिरों में भी पूजा अर्चना और श्रृंगार करने का सिलसिला जारी हो गया था। इसके साथ ही श्रद्धालु भी दर्शन के लिए मंदिरों में पहुंचे।

मोदक का भोग… दाल बाफले का आनंद
भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाया गया और श्रद्धालुओं ने घरों में दाल बाफले बनाकर भोजन कर आनंद लिया। बता दें कि चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाने का विधान है वहीं अन्य भोग भी दाल बाफले और लड्डुओं का लगाया जाता है। लिहाजा श्रद्धालुओं के घरों में आज दाल बाफले और लड्डु बनाए गए और भगवान गणेश को भोग अर्पित किया गया। इधर शहर में करीब सौ से छोटे बड़े स्थानों पर पांडाल सजे हुए है जहां गणेश मूर्तियों को स्थापित कर हर दिन पूजा अर्चना और आरती की जाएगी। रोशनी से पांडालों को सजाया गया है और धार्मिक गीतों की अनुगूंज भी आज सुबह से ही सुनाई दे रही है। कई संस्थाओं द्वारा सांस्कृतिक और खेलकूद जैसे आयोजन भी दस दिवसीय गणेशोत्सव के दौरान किया जाएगा।

कल मनेगी ऋषि पंचमी
कल रविवार को ऋषि पंचमी मनाई जाएगी। यह व्रत सनातन धर्म में लिए बहुत ही खास महत्व रखता है। ऐसी मान्यता है कि यह व्रत खासतौर पर महिलाएं रखती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऋषि पंचमी को भाई पंचमी के नाम से भी जानते हैं। इस व्रत पर सप्तऋषियों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस व्रत पर महिलाएं उपवास रखती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो भी महिलाएं व्रत रखती है वह सब पापों से मुक्त हो जाती है। इसके साथ ही उन्हें सप्तऋषियों की कृपा भी मिलती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत पर सप्त ऋषियों की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन सुहागिन महिलाएं उपवास करती है इसके साथ ही सुख, समृद्धि और शांति का प्रार्थना करती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से महिलाओं की सारी गलतियों की माफी मिल जाती है। जैसे कि महिला द्वारा रजस्वला में किसी प्रकार की कोई गलतियां हो जाती है तो उस पाप से मुक्ति मिल जाती है।