ऋषि पंचमी : गलतियों की क्षमा याचना करती हैं महिलाएं

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भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को ऋषि पंचमी का व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 8 सितंबर, रविवार को मनाया जाने वाला है। इस व्रत में सप्त ऋषियों की मुख्य रूप से पूजा की जाती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, महिलाओं द्वारा रजस्वला काल के दौरान जाने-अनजाने में की गई गलतियों की क्षमा याचना के लिए यह व्रत किया जाता है। परशुराम और विश्वामित्र जैसे ऐसे सात ऋषि हैं जो अजर-अमर हैं। सनातन धर्म में पहले ये व्रत स्त्री और पुरुष दोनों रखते थे। लेकिन बदलते युग में अब ये व्रत केवल महिलाएं रखती हैं।
व्रत कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार विदर्भ देश में एक ब्राह्मण रहता था। उसका एक पुत्र और पुत्री भी थी। विवाह योग्य होने पर उसने अपनी कन्या का विवाह कर दिया। लेकिन कुछ ही दिनों में वह कन्या विधवा हो गई। दुखी ब्राह्मण अपने परिवार सहित गंगा नदी के तट पर रहने लगा। एक दिन जब ब्राह्मण कन्या सो रही थी तब अचानक उसका शरीर कीड़ो से भर गया। कन्या ने ये बात अपने पिता से कही। उसने ये बात ब्राह्मण को बताई और पूछा कि मेरी कन्या ने ऐसा कौन सा पाप किया है जिसकी वजह से उसे ये दुख झेलने पड़े हैं। ब्राह्मण ने योग विद्या से जानकर बताया कि पूर्व जन्म में इसने रजस्वला होते ही देवस्थान को छू लिया था। इस जन्म में भी इसने ऋषि पंचमी का व्रत नहीं किया। इसलिए इसकी यह गति हो रही है। यदि ये शुद्ध मन से अब भी ऋषि पंचमी का व्रत करें तो इसके सारे दुख दूर हो जाएंगे। अपने पिता के कहने पर उस कन्या ने विधि-विधान पूर्वक ऋषि पंचमी का व्रत किया और वह जल्द ही दुखों से मुक्त होकर अगले जन्म में सौभाग्यवती हुई।

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