सरकार अनुपयोगी संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन करने के प्रयास में जुटी
भोपाल। राज्य सरकार अनुपयोगी जमीनें बेचने के बजाय उनके बेहतर उपयोग और प्रबंधन की दिशा में कदम उठा रही है। इसके लिए मध्यप्रदेश और राज्य के बाहर स्थित सरकारी संपत्तियों की जानकारी जुटाई जा रही है। कुछ संपत्तियों पर अवैध कब्जे भी हो चुके हैं, जिनको लेकर सरकार ने योजना तैयार की है।
सरकारी संपत्तियों की जानकारी मांगी
वित्त विभाग ने सभी सरकारी विभागों से यह जानकारी मांगी है कि उनके पास अन्य राज्यों में कितनी संपत्ति है, उसकी मौजूदा स्थिति क्या है, और उसकी बाजार में क्या कीमत है। अगर किसी संपत्ति पर कानूनी विवाद है, तो उसका विवरण भी मांगा गया है। कुछ विभागों ने अपनी रिपोर्ट भेज दी है।
जमीनों की बिक्री का रिकॉर्ड
अब तक 284.05 करोड़ की 26.96 लाख वर्गमीटर जमीन बेची गई है। 52 संपत्तियों की कुल कीमत 564.45 करोड़ आंकी गई थी। इसके अलावा 24 संपत्तियों की कीमत 258.44 करोड़ रही। मप्र के बाहर एक लाख करोड़ रुपये से अधिक की संपत्तियां हैं, जिनमें से अकेले मुंबई में 50 हजार करोड़ रुपये की जमीन है। केरल के वायनाड जिले में 550 एकड़ जमीन और नागपुर में तीन एकड़ जमीन की कीमत लगभग 150 करोड़ रुपये है। झांसी की एक संपत्ति पर अवैध कब्जा हो चुका है।
संपत्तियों का संरक्षण
सरकार भोपाल के प्राकृतिक स्थल वाल्मी जैसी जमीनों को संरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठा रही है। पिछले शासनकाल में बिल्डरों को इस जगह पर कॉलोनी बनाने की अनुमति दी गई थी, लेकिन अब इस पहाड़ी को जैव विविधता विरासत स्थल घोषित किया जा चुका है। यह कदम संपत्ति के संरक्षण और पर्यावरण के महत्व को ध्यान में रखकर उठाया गया है।
धार्मिक न्यास विभाग की सबसे अधिक संपत्ति
धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग की सबसे अधिक संपत्तियां दक्षिण भारत, दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, और पश्चिम बंगाल में स्थित हैं। इनमें से कई संपत्तियों पर कानूनी विवाद चल रहे हैं। गौरतलब है कि अनुपयोगी सरकारी संपत्तियों की बिक्री का सिलसिला शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में शुरू हुआ था और इसके लिए लोक परिसंपत्ति विभाग का गठन किया गया था। अब, इन संपत्तियों के प्रबंधन और संरक्षण पर जोर दिया जा रहा है।