परिवार नियोजन नियमों का मखौल : सालों से दबा रखी है दो से अधिक बच्चों वाले कर्मचारियों की फाइलें

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नियम यह कहता है-तीसरी संतान होने के बाद नौकरी से कर दिया जाएगा बर्खास्त

उज्जैन। पूरे प्रदेश के साथ ही उज्जैन जिले में भी परिवार नियोजन नियमों का मखौल सरकारी कार्यालयों में उड़ाया जा रहा है। बताया गया है कि सरकारी कार्यालयों में ऐसे कई कर्मचारी नौकरी कर रहे है जिनकी तीन संताने है। जबकि परिवार नियोजन नियम यह कहता है कि यदि किसी सरकारी कर्मचारी की तीसरी संतान पैदा होती है तो या तो उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा या फिर ऐसे लोगों को नौकरी नहीं दी जाएगी।
बता दें कि करीब ढाई दशक पहले प्रदेश सरकार ने राज्य सिविल सेवा शर्तों में इस तरह का नियम लागू किया था लेकिन इस तरह के नियम का पालन सख्ती के साथ नहीं हो रहा है। बताया गया है कि सरकारी कार्यालयों में नियमों को धता बताने वाले कर्मचारियों की जानकारी तो प्रमुखों को है लेकिन बावजूद इसके फाइलों को दबाकर रखा गया है। यह कानूनी प्रावधान करीब ढाई दशक पहले मप्र सरकार द्वारा राज्य सिविल सेवा शर्तों में किए गए थे। जिसके  दो बच्चों के प्रावधान पर प्रशासनिक स्तर पर अमल ही नहीं किया जा रहा है। नियमानुसार जिनके दो से ज्यादा बच्चे हैं, उन्हें राज्य सरकार की सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी इसके अलावा उसमें किए गए प्रावधान के तहत 26 जनवरी 2001 के बाद तीसरी संतान पैदा होने पर  नौकरी से बर्खास्त भी कर दिया  जाएगा। इसके बाद भी जिला कार्यालयों से लेकर मंत्रालय तक में सरकारी कर्मचारियों के तीन और उससे अधिक बच्चों वाले कर्मचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।

उप नियम (4) में संशोधन कर अधिसूचना जारी की थी

राज्य शासन ने 10 मार्च 2000 को भारत के संविधान के अनुच्छेद 348 के खंड (3) के अनुसरण में मप्र सिविल सेवा  नियम 1961 के नियम 6 के उपनियम (4) में संशोधन कर अधिसूचना जारी की थी। जिसके तहत किसी कर्मचारी या उम्मीदवार ने विवाह के लिए नियत की आयु  से पूर्व विवाह कर लिया हो, उसे किसी सेवा या नियुक्ति की पात्रता नहीं होगी। कोई कर्मचारी या उम्मीदवार जिसकी दो से अधिक जीवित संतान हैं, उनमें से तीसरी संतान का जन्म 26 जनवरी 2001 को या उसके बाद हुआ है। उसे किसी नौकरी या नियुक्ति की पात्रता नहीं होगी। सरकार ने प्रशासनिक व्यवस्था में यह नियम परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के लिए लागू किया था। हालांकि मौजूदा स्थिति इस नियम पर नियुक्ताओं और क्रियान्वयन कर्ताओं द्वारा ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यही वजह है कि प्रदेश में अलग-अलग विभागों में सैकड़ों कर्मचारियों के खिलाफ 26 जनवरी 2001 के बाद तीसरी संतान की शिकायतें लंबित हैं। इनमें से कुछ अधिकारी भी शामिल हैं।

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