जय हिन्द सखी मंडल ने की गणेशोत्सव पर परिचर्चा

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देवास। जय हिन्द सखी मंडल द्वारा गणेशोत्सव का महत्व विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में अंजली राणे ने कहा कि अंग्रेजों का शासन अन्याय का शासन था। समय के साथ साथ अंग्रेजों के जुल्म भी बढ़ते जा रहे थे। व्यापारी बनकर आए अंग्रेज एक दिन भारत के मालिक बन गए। समाज का हर वर्ग अंग्रेजों के अन्याय से पीड़ित होने लगा। चाहे वह मजदूर हो किसान, चाहे वह जमींदार हो या व्यापारी। अंग्रेज लोग बात-बात पर भारतीयों को पकड़कर जेल में बंद कर देते। तत्कालीन न्यायालय केवल नाम के न्यायालय थे। वे सिर्फ अंग्रेजी शासन के हित को ध्यान में रखकर फैसले देते थे। ऐसी विषम परिस्थितियों में अंग्रेजों के विरूद्ध कोई खुलकर बोलने का साहस नहीं कर पाता था, तब लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने यह बीड़ा उठाया। उन्होंने आम जनता को जागरूक करने के लिए कई तरह के प्रयास किए। उनमें सबसे महत्वपूर्ण प्रयास था सार्वजनिक गणेशोत्सव का। तिलक जी का सार्वजनिक गणेशोत्सव क्रांति का बिगुल था। अंग्रेज समझ न पाए और तिलक जी ने सभी धर्मो और सभी जातियों को सार्वजनिक गणेशोत्सव के माध्यम से एक मंच पर ला दिया। तनुश्री विश्वकर्मा ने कहा कि कभी ये 10 दिवसीय गणेशोत्सव कार्यक्रम प्रतिभा को उजागर करने का कार्यक्रम था। आजादी के बाद गणेशोत्सव में प्रतिदिन कोई न कोई साहित्यिक, शैक्षिक और सामाजिक कार्यक्रम होता था। यह बात अब विलुप्त हो चुकी है। रोजा पठान ने कहा कि इस आयोजन के माध्यम से अंग्रेजों के विरूद्ध जाग्रत एकता को हम पुनर्जीवित कर सकते हैं। गणेशोत्सव सामाजिक चेतना का माध्यम है। परिचर्चा की संकल्पना हर्षा महाजन और जसविंदर ग्रेवाल की थी। सहयोग रविन्द्र वर्मा और अनुभव मिश्रा का था।

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