नगर निगम ने पर्यटन विकास निगम से पूछा- हमें कितना मिलेगा……!
इनकम की हिस्सेदारी मांग रहे है इसलिए ग्रांड होटल के हैंडओवर का मामला अभी भी अटका
महापौर ने कहा- हमें भी चाहिए आय में से कुछ हिस्सा…सीएम से भी की है इस मामले में बात
महापौर ने कहा- हमें भी चाहिए आय में से कुछ हिस्सा…सीएम से भी की है इस मामले में बात
उज्जैन। भले ही नगर निगम प्रशासन ग्रांड होटल का संचालन पर्यटन विकास निगम को सौंपने की कवायद लंबे समय से कर रहा हो लेकिन निगम का मौजूदा बीजेपी बोर्ड इस बात पर अड़ा हुआ है कि पर्यटन विकास निगम के हैंडओवर करने के बाद जो आय होगी उसमें से निगम के राजस्व में कितना हिस्सा दिया जाएगा।
बता दें कि निगम का मौजूदा बीजेपी बोर्ड भी ग्रांड होटल को पर्यटन विकास निगम को सौंपना चाहता है लेकिन महापौर मुकेश टटवाल का कहना है कि निगम को भी तो होने वाली आय का कुछ हिस्सा मिलना चाहिए। संभवत यही कारण है कि ग्रांड होटल को पर्यटन विकास निगम को हैंडओवर करने का मामला टल रहा है। ब्रह्मास्त्र से चर्चा करते हुए महापौर मुकेश टटवाल का कहना है कि इस मामले में उन्होंने सीएम डॉ. मोहन यादव से बात की है और उन्हें उम्मीद है कि सीएम इस मामले में कोई रास्ता निकालकर समाधान करेंगे ताकि पर्यटन विकास निगम को ग्रांड होटल का संचालन सौंपा जा सके। सूबे के सीएम डॉ. मोहन यादव की मंशानुसार शहर की इस सबसे पुरानी ग्रांड होटल को पर्यटन विकास निगम अपने नियंत्रण में लेने की तैयारी कर रहा है और बीते कुछ दिनों पहले ही निगम के आला अफसरों ने होटल का जायजा लिया था। बताया जा रहा है कि कई बार नगर निगम प्रशासन ने ग्रांड होटल को निजी हाथों में सौंपने का प्रयास भी किया था वहीं पर्यटन विकास निगम से भी संपर्क किया जा चुका है लेकिन किसी न किसी कारणवश विशेषकर पर्यटन विकास निगम और नगर निगम प्रशासन के बीच बात जम नहीं सकी। हालांकि अब उज्जैन निवासी और सूबे के सीएम डॉक्टर मोहन यादव की मंशा अनुसार इस होटल को पर्यटन विकास निगम अपने पास रखकर इसका रिनोवेशन कराने के लिए प्रक्रिया पूरी करने में जुटा हुआ है। निगम महापौर मुकेश टटवाल का कहना है कि होटल बहुत अच्छी है और सुविधायुक्त भी लेकिन निगम को इस होटल से उतनी आय नहीं हो रही है जिससे इसका मेंटेनेंस किया जा सके। अर्थात यह होटल निगम प्रशासन के लिए आमदनी अठ्ठनी खर्चा रुपैया….जैसा ही हो रहा है। महापौर टटवाल का कहना है कि सालाना बीस लाख रुपए खर्च होते है इसके मेंटेनेंस और कर्मचारियों आदि पर, जबकि आय इससे बहुत कम है। इसलिए हम होटल को पर्यटन विकास निगम को सौंपना चाहते है लेकिन बात विकास निगम को होने वाली आय में से मिलने वाले हिस्से की है
जिसे लेकर अभी विकास निगम के अफसरों ने स्पष्ट नहीं किया है।