लाठीचार्ज में युवक की मौत के बाद पुलिस वालों पर कार्रवाई की मांग
रतलाम। गणेश चतुर्थी पर रतलाम में गणेश प्रतिमा जुलूस में हुए पथराव के बाद हिन्दू समाज ने प्रदर्शन किया था। पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिये लाठीचार्ज किया। जिसमें तीन युवको से बुरी तरह मारपीट की गई। घायल एक युवक की मौत हो गई। जिसके बाद मंगलवार को सकल हिन्दू समाज ने कलेक्टर से मुलाकात कर पुलिस पर हत्या का आरोप लगाया और परिवार को धमकाकर पोस्टमार्टम नहीं कराने की बात कही। हिन्दू समाज ने पुलिस वालों पर हत्या का प्रकरण दर्ज करने की मांग रखी है। विदित हो कि गणेश चतुर्थी पर रतलाम में मोचीपुरा से शाम 7 बजे निकल रहे गणेश प्रतिमा जुलूस पर असामाजिक तत्वों ने पथराव कर दिया था। आक्रोशित हिन्दू समाज के घटना के बाद प्रदर्शन किया और नारेबाजी शुरू कर दी। स्टेशन रोड पुलिस थाने पहुंचकर पथराव करने वालों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने की बात कहीं और चक्काजाम कर दिया। रात 11 बजे पुलिस ने चक्काजाम और पथराव करने वालों पर कार्रवाई करने के लिये प्रदर्शन कर रहे लोगों पर लाठीचार्ज कर दिया। प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे 3 युवको महेन्द्र सोलंकी, लखन राजवानिया और काजल किनर को बुरी तरह पीटा गया। तीनों बुरी तरह घायल हो गये। बावजूद पुलिस ने 13 नामजद और सौ से अधिक अन्य के खिलाफ उपद्रव करने का प्रकरण दर्ज कर लिया। पुलिस लाठीचार्ज में घायल एक युवक की मौत हो गई। जिसको लेकर मामले ने तूल पकड़ लिया। मंगलवार को सकल हिन्दू सामज का एक प्रतिनिधि मंडल कलेक्टर राजेश बाथम से मुलाकात करने पहुंचा और ज्ञापन सौंपते हुए बताया कि पुलिस ने पथराव की घटना को झूठा बताया और अफवाह करार दिया। असामाजिक तत्वों की तलाश नहीं कि और लाठीचार्ज किया जिसमें एक युवक की मौत हो गई। सकल हिन्दू समाज के प्रतिधिनिधि मंडल ने युवक की मौत का आरोप पुलिस पर लगाते हुए कहा कि मृतक युवक के परिवार को डराया धमकाया गया। युवक का पोस्टमार्टम नहंी कराया गया। युवक की मौत लाठीचार्ज के दौरान हुई, पुलिस कर्मियों पर सख्त कार्रवाई की जाये और हत्या का प्रकरण दर्ज किया जाये। हिन्दू समाज का कहना था कि अगर 24 घंटे में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो उग्र प्रदर्शन किया जायेगा। कलेक्टर से मुलाकात करने और ज्ञापन सौंपने के दौरान हिन्दू जागरण मंच के जिला संयोजक कमलेश ग्वालियरी, भाजपा जिलाध्यक्ष प्रदीप उपाध्याय, महामंत्री निर्मल कटारिया, भाजपा नेता अशोक चौटाला, प्रवीण सोनी, अशोक पोरवाल, सामाजिक कार्यकर्ता मोहन मुरलीवाला, वीरेंद्र वफगावकर मनोहर पोरवाल,राजेश कटारिया सतीश त्रिपाठी और विनोद मूणत शामिल थे।