कैसे हो पूरी क्षमता से जलापूर्ति ? पीएचई के संसाधन “ओल्ड”,काम चाह रहे “गोल्ड”आपूर्ति में हो रहे “क्लीन बोल्ड”

दैनिक अवंतिका

उज्जैन। लाख कोशिशों के बावजूद नगर निगम लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग शहर को पुरी क्षमता से पेयजल सप्लाय में पिछड रहा है। इसके पीछे कारण यह सामने आ रहे हैं कि पीएचई के संसाधन पुराने हो चुके है। उसके कर्मचारी पूरा पसीना बहाने के बावजूद आमजन को आपूर्ति करने में फैल हो रहे हैं,जबकि अभी एक दिन छोडकर जल सप्लाय की जा रही है। पीएचई के संसाधन “ओल्ड”,काम चाह रहे “गोल्ड”आपूर्ति में हो रहे “क्लीन बोल्ड”होने जैसी स्थिति बनी हुई है।शहर में नगर निगम पीएचई की जल प्रदाय करता है। जलापूर्ति गंभीर बांध से और शिप्रा में गउघाट से की जाती है। शिप्रा में भी कान्ह नदी का सिवरेज पानी मिलने पर उपयोग नहीं लिया जाता है। संपूर्ण शहर में 44 टंकियां हैं। इनमें से कई टंकियों की फिल्टर प्लांट से अधिक दूरी होने पर उन्हें पूरी क्षमता से भरना वर्तमान संसाधनों में मुश्किल ही है। एक दिन छोडकर जल सप्लाय में 48 घंटों में 44 टंकियों को भरने की चुनौती पीएचई के पास रहती है।इसके अतिरिक्त शहर में कुछ क्षेत्र डायरेक्ट सप्लाय के हैं।ऐसे हैं संसाधनों के हाल-शहर में जल सप्लाय के लिए कुल 4 युनिट हैं। इनमें से गंभीर पर एक जल यंत्रालय (फिल्टर प्लांट ) का एक युनिट है। यहां पर 2 पंप उच्च क्षमता के साफ पानी के लिए हैं और 2 स्टैंड बाय हैं। इसके इंटेक वेल पर 1 बडा पंप एवं एक स्टैंड बाय है। 4 छोटे पंप हैं इनमें एक स्टैंड बाय है। इसी तरह से गउघाट स्थित प्लांट पर 3 युनिट हैं। यहां पर गंभीर से रा वाटर लाकर उसका ट्रीटमेंट करते हुए शहर की टंकियों को भरने का काम किया जाता है। 4 युनिट एवं इंटेकवेल में लगे पंप काफी पुराने हो चुके हैं। उनकी क्षमता  धीरे-धीरे काफी कम हो चुकी है।पूर्व में यही पंप 8-12 घंटों के दरमियान तत्कालीन स्थितियों की टंकियों को भरने की क्षमता रखते थे जो कि अब तीन गूना समय में भी उस काम को अंजाम नहीं दे पा रहे हैं।48 घंटे का समय,44 टंकियां लक्ष्य-शहर में वर्तमान में एक दिन छोडकर जलप्रदाय किया जा रहा है। इसके तहत पीएचई के पास सप्लाय की टंकियों को भरने के लिए 48 घंटे का समय रहता है। प्रति दिन सप्लाय में 24 घंटे का समय ही रहता है। ऐसे में वर्तमान में पीएचई को वर्तमान में 48 घंटों के दरमियान 44 टंकियों को भरने का लक्ष्य है। इसके बाद भी प्लांट से टंकियों को संसाधनों को लेकर उत्पन्न अन्यानेक परेशानियों के तहत नहीं भरा जा पा रहा है और पुरी क्षमता से कई टंकियों के न भरने से सप्लाय प्रभावित हो रही है संबंधित क्षेत्रों में कम दबाव से जल प्रदाय हो रहा है। प्लांट के पंपों की स्थितियां ऐसी हो चुकी हैं कि एक समय वे 8-12 घंटे में तत्कालीन टंकियों को भरते थे उसी में अब उन्हें डेढा समय लग रहा है। पुरानी मशीनरी होने से अब उसकी क्षमता भी पुरी तरह से प्रभावित हो चुकी है।कई टंकियों की दूरी ज्यादा,संपवेल नहीं-शहर में कई टंकियों की दूरी प्लांट से अधिक होने के कारण भी उन क्षेत्रों की टंकियां भरने में परेशानी की स्थितियां बनी हुई हैं। इसके लिए संबंधित क्षेत्रों में टंकिेयों के पास सम्पवेल नहीं होने से प्लांट से टंकी तक पानी जाने और प्रेशर नहीं होने से उसे चढने में काफी समय लग रहा है। नागझिरी ऐसी ही टंकिेयों में शामिल है। आए दिन यह टंकी पुरी क्षमता से नहीं भर पाती है और क्षेत्र के रहवासियों को जल सप्लाय में परेशानी बनी रहती है। अधिकांश समय क्षेत्र में टेंकर भेजना पडते हैं। इस क्षेत्र में सम्पवेल बनने से समस्या का निदान संभव है।10 मिनट की लाईट बंद,पंप शुरू होने में एक घंटा-गउघाट एवं अंबोदिया प्लांट पर आए दिन बिजली प्रदाय प्रभावित होता रहता है। ऐसे में अगर 10 मिनिट के लिए भी कटअफ होता है तो पंप न्यूनतम 1 से 2 घंटे की अवधि के लिए बंद हो जाता है। झटके के साथ पंप बंद होने पर उसे ठंडा करने के उपरांत ही पून: शुरू किया जाता है अन्यथा उसके खराब होने की संभावना बढ जाती है। दोनों ही प्लांट क्षेत्र में स्वतंत्र एवं सिफ पीएचई के लिए विद्युत फीडर एवं कनेक्शन नहीं हैं। इसके चलते कई बार समस्या बन जाती है। अंबोदिया फीडर से उद्योगों को भी कनेक्शन दिए गए हैं जिसके कारण आए दिन फाल्ट होना सामान्य बात है।कई क्षेत्रों में डायरेक्ट सप्लाय-गंभीर से आई लाईन से शहर के कई क्षेत्रों में सीधे जल प्रदाय किया जाता है। इसका वाल्व रामघाट पर है। वाल्व्‍ खोलने पर सीधे जल प्रदाय की व्यवस्था प्रभावित हो जाती है। शहर में वृंदावनपुरा सहित उंचाई वाले क्षेत्रों में सीधे बुस्टिंग के साथ जल प्रदाय किया जाता है। ऐसे में वाल्व खूलने पर उंचाई वाले क्षेत्रों की जल प्रदाय व्यवस्था पुरी तरह से प्रभावित हो जाती है। जल प्रदाय के पहले रात 2 बजे से लाईनों में बुस्टिंग कर पानी भरा जाता है कई क्षेत्रों में लाईनों को खोल लेने से बुस्टिंग की व्यवस्था फैल हो जाती है। कई पंप खराब पडे हैं।पंप हाउस पुराने-गुरूवार को पानी के मुद्दे को लेकर शहर कांग्रेस अध्यक्ष मुकेश भाटी सहित कांग्रेस पक्ष के पार्षदों ने पीएचई अधिकारियों को घेरा । इस दौरान एक उपयंत्री ने स्वीकार किया कि पंप हाउस काफी समय पुराने हैं और उनके संसाधन भी काफी पुराने हैं।पानी की खपत हुई दो गुनी से अधिक-2004 में उज्जैन में जल प्रदाय के लिए गंभीर से करीब 3 एमसीएफटी पानी में पुरा शहर को जल प्रदाय किया जाता था। पिछले 20 सालों में यह खपत बढकर सीधे तौर पर 7.5 एमसीएफटी हो चुकी है। 2004 में टंकियों की संख्या भी काफ कम थी,जेएनएनयूआरएम के तहत शहर में इस दौरान उच्च क्षमता की 14 टंकियों का निर्माण किया गया ।तापी कंपनी ने शहर में पाईप लाईन डाली उसका भी कई क्षेत्रों में पर्याप्त लाभ नहीं मिल पा रहा है।इस तरह हो सकता है निदान–शहर में सीधे सप्लाय व्यवस्था को बंद किया जाए टंकियों के माध्यम से ही सप्लाय हो।-दूरी की टंकियों के लिए सम्पवेल बनाए जाएं।-पुराने पंप  तब्दील कर उच्च क्षमता के सिस्टम को स्थापित किया जाए।-लाईनों के साथ वाल्वों के लिकेज को बंद किया जाए