जहां नल है वहां बिल नहीं पहुंच रहे और जहां बिल पहुंच रहे हैं, वहां नल ही नहीं लगाए

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इंदौर। नगर निगम नर्मदा प्रोजेक्ट जल यंत्रालय के अफसरों की लापरवाही से जलकर वसूली आंकड़ों में उलझकर रह गई है। लक्ष्य के अनुरूप वसूली नहीं होने से वन टाइम सेटलमेंट अभियान पर भी सवालिया निशान लग गया। जबकि निगम अफसर, नेता और ठेकेदारों की मिलीभगत से जहां नल है वहां बिल नहीं पहुंच रहे और जहां बिल पहुंच रहे हैं, वहां नल ही नहीं लगाए गए। इससे वसूली का टारगेट पूरा नहीं हो सका।

नगर निगम में अफसरों की अफसरशाही हावी है। इसके चलते अफसर अपने फायदे के लिए निगम के नियमों को ताक पर रखकर अपनी मनमानी करते हैं। अफसरों की मनमानी का आलम यह है कि नियमों के नाम पर की जाने वाली मनमानी शहरवासियों के लिए मुसीबत का कारण बन गई है। सूत्रों की मानें तो शहर के अधिकतर जोनल कार्यालय में नल कनेक्शन के नाम पर जमकर फर्जीवाड़ा किया गया है। निगम नर्मदा प्रोजेक्ट अफसरों के द्वारा किए गए इस फर्जीवाड़े का खुलासा अब वसूली के दौरान हुआ है। सूत्रों की मानें तो निगम जोन 10, 11, 12, 13, 14 सहित शहर के अधिकतर जोन क्षेत्र में नगर निगम द्वारा ऐसे परिवारों को भी जलकर बकाया राशि जमा करने के बिल थमा दिए हैं। जिनके घर में नल कनेक्शन नहीं है, लेकिन वर्षों से ऐसे परिवारों के नाम से जलकर के बिल बनाए जा रहे हैं। वहीं बहुतायत में ऐसे घर भी है जहां नल कनेक्शन है, लेकिन उनको बिल नहीं भेजा जाता। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने वन टाइम सेटलमेंट अभियान चलाया तो इसके लक्ष्य की पूर्ति के लिए अफसरों ने सख्ती से वसूली शुरू की इससे यह खुलासा हुआ कि घर में कभी निगम ने नल कनेक्शन किया ही नहीं है, जबकि वर्षों से बिल बन रहे हैं। ऐसा एक दो घरों में नहीं अपितु कई कॉलोनियों में हो रहा है। इसी तरह कई घरों में पानी नहीं पहुंचने से रहवासियों ने नल कनेक्शन काटने के आवेदन दिए, लेकिन रिकार्ड में नल कनेक्शन जुड़े होने से उनके भी नाम बकायेदारों की सूची में शामिल है। कई रसूखदार अफसर व व्यापारियों के घर नल है, लेकिन उनके बिल नहीं भेजे जाते हैं। इससे जलकर के बकाया 560 करोड़ की वसूली के नाम पर 280 करोड़ रुपए भी वसूल नहीं हो सके। निगम रिकॉर्ड के मुताबिक शहर में करीब सात सौ से अधिक नल के बल्क कनेक्शन हंै। ऐसे नल कनेक्शन के लिए निगमायुक्त व निगम परिषद की सहमति जरूरी होती है। इस तरह नेताओं और अफसरों की मंशा से ही शहर में सैकड़ों बल्क कनेक्शन हो गए हैं। इनको वन टाइम सेटलमेंट अभियान में शामिल नहीं किया गया है। जबकि सूची में इनके नाम भी शामिल है। इससे भी आंकड़ा बदल सकता है।

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