क्षिप्रा किनारे एकत्रित हुए ग्रामीण -डोंगी पलटने पर हादसा, 3 घंटे बाद मिला शव बहनों को बचाने के बाद क्षिप्रा नदी में डूबी बालिका

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दैनिक अवंतिका
उज्जैन। बकरियां चराने गई 3 बहने क्षिप्रा नदी किनारे छोटी डोंगी में बैठ गई। पानी का बहाव होने पर डोंगी आगे बढ़ गई और पलट गई। बड़ी बहन ने 2 बहनों को बचाकर बाहर कर दिया, लेकिन खुद को नहीं बचा पाई। 3 घंटे की तलाश के बाद उसका शव बाहर निकाला गया।
भैरवगढ़ थाना प्रभारी जगदीश गोयल ने बताया कि ग्राम हरिगढ़ में शुक्रवार दोपहर को भंवर केवट की 3 बेटियां लक्ष्मी केवट 16 वर्ष, रीता 12 वर्ष और भावना 10 वर्ष बकरियां चराने के लिये क्षिप्रा नदी किनारे गई थी। बकरियों को छोड़ने के बाद क्षिप्रा नदी किनारे छोटी डोंगी में बैठ गई। तीनों मस्ती कर रही थी, उसी दौरान डोंगी आगे बढ़ गई और पलटी खा गई। तीनों बहने पानी में चली गई। लक्ष्मी ने अपनी दो बहनों को प्रयास कर डोंगी को सीधा कर उसमें बैठा दिया, लेकिन खुद को पानी से बाहर नहीं निकाल पाई और गहराई में चली गई। दोनों बहने बाहर आई और परिजनों को सूचना दी। परिवार और गांव वाले नदी किनारे पहुंचे और तलाश शुरू की गई। घटना दोपहर 2 बजे के लगभग हुआ और मामले की सूचना पुलिस को साढ़े तीन बजे के लगभग मिली। तत्काल पुलिस टीम के साथ होमगार्ड की एसडीईआरएफ टीम रवाना हुई। हरिगढ़ पहुंचने के बाद क्षिप्रा किनारे जाने तक का रास्ता काफी खराब होने पर समय लग गया, इस बीच शाम 5 बजे के लगभग ग्रामीणों ने मशक्कत के बाद बालिका लक्ष्मी का शव बाहर निकाल लिया। जिसे घर लाया गया, जहां से पुलिस शव को जिला अस्पताल लेकर आई। शाम 6.30 बजे पोस्टमार्टम कराया गया।
खेती के साथ मछली पकड़ता है परिवार
थाना प्रभारी गोयल ने बताया कि बालिका का परिवार खेती करता है। क्षिप्रा किनारे ही खेत बना हुआ है। ग्राम हरिगढ़ छोटा गांव है, जहां लोग मछली पकड़ने का काम भी करते है। क्षिप्रा में डूबी बालिका का परिवार भी जाल डालकर मछली पकड़ता है।  जिसके चलते नदी में डोंगियां रखी हुई है। बताया जा रहा है कि डूबी बालिका कक्षा 8 वीं की छात्रा थी। उसकी छोटी बहन भी गांव के शासकीय स्कूल में अध्ययनरत है।
गांव में गमगीन हुआ माहौल
बालिका के डूबने खबर लगते ही गांव के लोग क्षिप्रा नदी किनारे पर एकत्रित हो गये थे। युवको ने बालिका की तलाश शुरू की थी। 3 घंटे बाद शव बाहर निकाला गया तो पूरे गांव का माहौल गमगीन हो गया। बालिका का शव घर लाया गया तो परिवार के साथ गांव वाले बिलख उठे।

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