आज जलझूलनी एकादशी…शाम को निकलेगा झिलमिलाती झांकियों का कारवां

उज्जैन-इंदौर। आज जलझूलनी एकादशी है। इसे डोल ग्यारस भी कहा जाता है। इस अवसर पर जहां महिलाओं द्वारा भगवान विष्णु की पूजा का विधान है वहीं इंदौर के साथ ही
उज्जैन और आस-पास के शहरों में शाम के समय धार्मिक झांकियों का कारवां निकेगा। मंदिरों से भी डोल निकलेंगे और महिलाओं द्वारा पूजा अर्चना की जाएगी।
आज यानी 14 सितम्बर को परिवर्तिनी एकादशी है। पुराणों में मनीषी पुरुषों ने जल को ‘नारा’ कहा है। वह नारा ही भगवान का अयन-निवास स्थल है इसलिए वे नारायण कहलाते हैं। नारायण स्वरूप भगवान विष्णु सर्वत्र व्यापक रूप में विराजमान हैं। वे ही मेघ स्वरूप होकर वर्षा करते हैं। वर्षा से अन्न पैदा होता है और अन्न से प्रजा जीवन धारण करती है। श्री विष्णु देवशयनी एकादशी से योग निद्रा में चले जाते हैं और भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन वे अपनी करवट बदलते हैं। इस एकादशी को पद्मा, परिवर्तिनी, वामन एकादशी या डोल ग्यारस के नाम से जाना जाता है।
मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलने के समय प्रसन्न मुद्रा में रहते हैं, इस अवधि में भक्ति भाव और विनयपूर्वक उनसे जो कुछ भी मांगा जाता है वे अवश्य प्रदान करते हैं। यह भी माना जाता है कि इस दिन माता यशोदा ने जलाशय पर जाकर श्रीकृष्ण के वस्त्र धोए थे,इसी कारण इसे जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है। मंदिरों में इस दिन भगवान श्रीविष्णु की प्रतिमा या शालिग्राम को पालकी में बिठाकर पूजा-अर्चना के बाद ढोल-नगाड़ों के साथ शोभा यात्रा निकाली जाती है।

एकादशी का महत्व

इस एकादशी पर भगवान विष्णु सहित देवी लक्ष्मी की पूजा करने से जीवन में धन और सुख-समृद्धि की प्राप्ति तो होती ही है। परलोक में भी इस एकादशी के पुण्य से उत्तम स्थान मिलता है। पद्मा एकादशी के विषय में शास्त्र कहता है कि इस दिन छाता,जूते, चावल, दही,जल से भरा कलश एवं चांदी का दान करना उत्तम फलदायी होता है। जो लोग किसी कारणवश पद्मा एकादशी का व्रत नहीं कर पाते हैं उन्हें पद्मा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों की कथा का पाठ करना चाहिए। विष्णु सहस्रनाम एवं रामायण का पाठ करना भी इस दिन उत्तम फलदायी माना गया है।

मिलता है फल

धर्मग्रंथों के अनुसार, पद्मा एकादशी का व्रत करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। जो मनुष्य इस एकादशी को भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करता है उसके समस्त पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही, भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। इस व्रत को करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।