ग्रामीण इलाकों में मरीजों को आयुष चिकित्सकों पर अधिक विश्वास

उज्जैन। उज्जैन के ग्रामीण इलाकों में आयुर्वेद चिकित्सा की तरफ लोगों की रूचि बढ़ी है वहीं आयुष चिकित्सकों पर भी मरीजों का विश्वास अधिक है। इसका उदाहरण सामने उस वक्त आया है क्योंििक शहरी के साथ ही ग्रामीण इलाकों में भी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में आयुष सुविधाएं देने वाला न केवल प्रदेश पहला राज्य बना है वहीं
सुविधाओं में भी नंबर वन के रूप में ही सामने आया है।

यह खुलासा हुआ है हेल्थ् डायनामिक्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में। पूरे प्रदेश सहित उज्जैन के भी शहरी क्षेत्र के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में आयुष सुविधाएं देने वाला मप्र देश का पहला राज्य बन गया है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के 1440 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में से 695 में आयुष सुविधाएं उपलध हैं और शेष में बढ़ाई जा रही हैं। आदिवासी क्षेत्रों में 228 प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में आयुष डॉटर उपलध हैं। इसके आधार पर मप्र देश में तीसरे स्थान पर है। प्रथम स्थान पर 296 की संख्या के साथ उड़ीसा और 279 की संख्या के साथ छत्तीसगढ़ दूसरे स्थान पर है। मप्र वर्ष 2005 से ग्रामीण क्षेत्रों में उप स्वास्थ्य केन्द्रों की संया में बढ़ोतरी करनेवाले देश के पहले छह राज्यों में शामिल हो गया है। इसके अलावा सबसे ज्यादा संख्या में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों वाले दस राज्यों में सातवें स्थान पर आ गया है। यह तथ्य हाल ही में भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी हेल्थ डायनामिस ऑफ इंडिया – इंफ्रास्ट्रक्चर एंड हयूमन रिसोर्स रिपोर्ट में सामने आया है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों की संख्या में भी मध्यप्रदेश पहले छह राज्यों में शामिल है। देश में कुल 5491 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं। मप्र में इनकी संख्या 332 हैं। रिपोर्ट के अनुसार सब डिविजनल स्तर पर संचालित अस्पतालों और जिला अस्पतालों की संख्या के हिसाब से मध्य प्रदेश देश के प्रथम तीन राज्यों में शामिल है। यहां सब डिविजनल अस्पतालों की संख्या 144 है। तमिलनाडु में 281 की संख्या के साथ पहले और कर्नाटक 147 की संख्या के साथ दूसरे नंबर पर है। प्रदेश में जिला अस्पतालों की संख्या 52 है। इन मामले में मप्र देश में दूसरे स्थान पर है, जबकि 125 स्वास्थ्य केंद्रों के साथ उत्तर प्रदेश पहले और दिल्ली 40 के साथ तीसरे स्थान पर हैं।

रिपोर्ट में सभी प्रदेशों में उप स्वास्थ्य, प्राथमिक स्वास्थ्य, सामुदायिक स्वास्थ्य, संभाग स्तरीय अस्पतालों और जिला अस्पतालों में आधारभूत स्वास्थ्य अधोसंरचना, तकनीकी रूप से दक्ष स्टाफ एवं विशेषज्ञ चिकित्सकों की पदस्थापना का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में सभी राज्यों में आधारभूत अधोसंरचनाओं में बढ़ोतरी का तथ्यात्मक विश्लेषण किया गया है। विशेषज्ञ चिकित्सकों, सर्जन, गायनेकोलॉजिस्ट, शिशु रोग विशेषज्ञ, फार्मासिस्ट लैब टेक्नीशियन नर्सिंग स्टाफ और रेडियोग्राफर की उपलब्धता में बढोतरी हुई है। उप स्वास्थ्य केंद्र प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने की व्यवस्था और समुदाय के बीच पहली संपर्क संस्था है। मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, परिवार कल्याण, पोषण, टीकाकरण, दस्त नियंत्रण, संचारी और गैर-संचारी रोगों के नियंत्रण के संबंध में निचले स्तर पर सेवाएं दी जाती है। आदर्श स्थिति में एक उपकेंद्र में कम से कम एक सहायक नर्स मिडवाइफ, महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता और एक पुरुष स्वास्थ्य कार्यकर्ता उपलब्ध रहते हैं। यह कम से कम चार गांव को सेवाएं देता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र समुदाय और चिकित्सा अधिकारी के बीच की संपर्क संस्था के रूप में काम करता है। यह 6 उप केन्द्रों के लिए एक रेफरल इकाई है। इसमें 4 से 6 बिस्तर की सुविधा होती है और यह 26 गांव को कवर करता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 4 चिकित्सा विशेषज्ञ, पैरामेडिकल स्टाफ, फिजिशियन, प्रसूति व स्त्री रोग विशेषज्ञ और बाल रोग विशेषज्ञ होते हैं। इसमें एक ऑपरेशन थिएटर, एक्स-रे, लेबर रूम और प्रयोगशाला सुविधाओं के साथ 30 बिस्तर की क्षमता रहती है। एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कम से कम चार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के लिए एक रेफरल इकाई के रूप में संचालित होता है।