भोपाल। प्रदेश के किसान सोयाबीन का समर्थन मूल्य बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहे है और इसके चलते कई शहरों में किसान आंदोलन भी कर रहे है। इसी बीच सोयाबीन का समर्थन मूल्य बढ़ाने के संबंध में सरकार का एक पत्र वायरल होने का मामला सामने आया था, जिसे सरकार ने सिरे से नकार दिया है। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि सोयाबीन का समर्थन मूल्य बढ़ाने को लेकर किसी तरह का फैसला नहीं हुआ है और जो भी इस संबंध में भ्रामक प्रचार कर रहा है उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।
फर्जी पत्र वायरल हो रहा
सचिव, किसान कल्याण तथा कृषि विकास एम. सेलवेन्द्रन ने बताया कि सोशल मीडिया पर वर्ष 2024 -25 के लिए सोयाबीन की एमएसपी बढ़ाने संबंधी फर्जी पत्र वायरल हो रहा है। यह पत्र पूर्णत: फर्जी है। फर्जी पत्र को वायरल करके भ्रामक जानकारी फैलाने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
उपार्जन निर्धारित दर 4892 रुपए प्रति क्विंटल से ही
मध्यप्रदेश सरकार के द्वारा केंद्र सरकार से प्राप्त अनुमति अनुसार वर्ष 2024-25 के लिए सोयाबीन का उपार्जन निर्धारित दर 4892 रुपए प्रति क्विंटल से ही किया जाएगा। सचिव कृषि श्री सेल्वेंद्रन ने बताया है सोयाबीन की एमएसपी बढ़ाने संबंधी फर्जी पत्र वायरल करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए पुलिस को पत्र लिखा गया है। उन्होंने बताया कि फर्जी पत्र में किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के प्रमुख सचिव एस. सेलवेन्द्रन के हस्ताक्षर से वर्ष 2024-25 विपणन खरीफ फसल सोयाबीन के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ाकर 5789 रुपए प्रति क्विंटल करने का जिक्र है, जो कि पूर्णतः फर्जी और भ्रामक है।
प्रदेश में किसानों का संघर्ष
जैसा कि अंदेशा जताया जा रहा था मध्य प्रदेश में सोयाबीन की सरकारी खरीदी की घोषणा के बावजूद किसानों का असंतोष थमना मुश्किल दिखाई दे रहा है। केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस मामले पर हामी भरते हुए कहा कि केंद्र ने राज्य सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसके तहत सोयाबीन की खरीदी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जाएगी। हालांकि, किसानों का कहना है कि यह कदम उनके लिए पर्याप्त नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा मध्य प्रदेश के नेतृत्व में प्रदेशभर के किसान लगातार अपनी मांगों के समर्थन में आंदोलन कर रहे हैं। मोर्चा ने स्पष्ट किया है कि उनकी मुख्य मांग सोयाबीन का भाव 6000 प्रति क्विंटल होना चाहिए, जबकि मौजूदा MSP 4892 प्रति क्विंटल पर खरीदी से उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। पिछले कुछ हफ्तों में राज्य भर में किसानों ने गांव-गांव जाकर ज्ञापन सौंपे, जिसके बाद 50 तहसीलों में ट्रैक्टर रैली निकाली गई। इसके दबाव में राज्य सरकार ने केंद्र को प्रस्ताव भेजा, जो अब मंजूर हो चुका है। बावजूद इसके, किसान आंदोलन खत्म करने के लिए तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि सरकार को न्यूनतम 6000 प्रति क्विंटल पर खरीदी सुनिश्चित करनी होगी।