ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्। शुरू हुए श्राद्ध पक्ष….तर्पण, पिंडदान कराने घाटों पर पहुंचे श्रद्धालु
उज्जैन। बुधवार से श्राद्ध पक्ष की शुरुआत हो गई है। सुबह से ही श्रद्धालु रामघाट
और सिद्धवट के साथ ही गया कोठा पहुंचे और इन स्थानों पर पितरों की शांति के निमित्त
तर्पण और पिंडदान कर्म कराने का सिलसिला शुरू हो गया था। यह क्रम सर्वपितृ अमावस्या तक
जारी रहेगा।
और सिद्धवट के साथ ही गया कोठा पहुंचे और इन स्थानों पर पितरों की शांति के निमित्त
तर्पण और पिंडदान कर्म कराने का सिलसिला शुरू हो गया था। यह क्रम सर्वपितृ अमावस्या तक
जारी रहेगा।
उज्जैन में श्राद्ध करने पर गया श्राद्ध से बढ़कर पुण्य प्राप्त होता हैज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार अवंतिकातीर्थ में शिप्रा के सिद्धवट व रामघाट के साथ गयाकोठा तीर्थ पर पितृकर्म करने का विशेष महत्व है। मान्यता है उज्जैन में श्राद्ध करने पर गया श्राद्ध से बढ़कर पुण्य प्राप्त होता है। लोक मान्यता के चलते देशभर से आस्थावान अवंतिका तीर्थ में श्राद्ध करने आते हैं। यम स्मृति के अनुसार जो मनुष्य अपने वैभव के अनुसार विधिपूर्वक श्राद्ध करता है, वह साक्षात ब्रह्मा से लेकर तृण पर्यंत समस्त प्राणियों को तृप्त करता है। श्रद्धा पूर्वक विधि विधान से श्राद्ध करने वाला मनुष्य ब्रह्मा, इंद्र, रूद्र, अश्विनी कुमार, सूर्य, अग्नि, वायु, विश्व देव, मित्र गण, मनुष्य गण, पशुगण, भूतगण व सर्पगण को को संतुष्ट करते हुए संपूर्ण जगत को संतुष्ट कराता है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को पितरों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हुए श्राद्ध अवश्य करना चाहिए। श्राद्ध करने के लिए मुख्य रूप से शास्त्र में जो समय निर्दिष्ट किया गया है, उसके अनुसार व्यक्ति को सुबह 11.36 बजे से दोपहर 12. 24 बजे तक श्राद्ध करना चाहिए। इसे कुतप काल कहा गया है। श्राद्ध में इसका उपयोग करे पितृ पूजन में चंदन, खस, सहित सफेद चंदन का उपयोग करना चाहिए। पितरों को इनकी खुशबू प्रिय है।
पितृपक्ष की श्राद्ध तिथियां
18 सितंबर प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध (पितृपक्ष आरंभ)-
19 सितंबर द्वितीया तिथि का श्राद्ध
20 सितंबर तृतीया तिथि का श्राद्ध
21 सितंबर चतुर्थी तिथि का श्राद्ध
22 सितंबर पंचमी तिथि का श्राद्ध
23 सितंबर षष्ठी और सप्तमी तिथि का श्राद्ध
24 सितंबर अष्टमी तिथि का श्राद्ध
25 सितंबर नवमी तिथि का श्राद्ध
26 सितंबर दशमी तिथि का श्राद्ध
27 सितंबर एकादशी तिथि का श्राद्ध
29 सितंबर द्वादशी तिथि का श्राद्ध
30 सितंबर त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध
1 अक्टूबर चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध
2 अक्टूबर सर्व पितृ अमावस्या, पितृ पक्ष समाप्त