उज्जैन इंदौर में 660 टन कचरे से बनेगी बिजली

उज्जैन-इंदौर। प्रदेश के 10 निकायों के लिए क्लस्टर आधारित कचरे के प्रसंस्करण की इकाइयों के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी मिल गई है और अब इसके बाद इंदौर उज्जैन में 660 टन कचरे से बिजली बनेगी। अधिकारियों के मुताबिक कचरे से 12.15 मेगावाट बिजली उत्पन्न होगी।
स्वच्छ भारत मिशन की 10वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव   के मुताबिक इंदौर ने लगातार 7 बार स्वच्छ शहर होने का जहां गौरव हासिल किया, वहीं पिछले सर्वे में मध्यप्रदेश को भी स्वच्छतम् राज्य का दर्जा मिला। प्रदेश के 10 निकायों के लिए क्लस्टर आधारित कचरे के प्रसंस्करण की इकाइयों के लिए केन्द्र से मंजूरी मिल गई है, तो इंदौर और उज्जैन में 660 टन कचरे से बिजली भी बनेगी, जिससे 12.15 मेगावाट बिजली पैदा होगी। अगले 3 सालों में इंदौर सहित प्रदेश के नगरीय निकाय कचरा प्रबंधन में आत्मनिर्भर भी बन जाएंगे।
गीले कचरे के प्रसंस्करण और निष्पादन के लिये स्पॉट कम्पोजिटिंग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश में 850 से अधिक ठोस अपशिष्ट उत्पादकों द्वारा स्पॉट कम्पोजिटिंग की जा रही है। प्रदेश में फीकल स्लज के निष्पादन को प्राथमिकता देते हुए 368 नगरीय निकायों में 399 एफएसटीपी और 20 निकायों में 55 एसटीपी संचालित हो रहे हैं। प्रदेश में 401 नगरीय निकाय 368 केन्द्रीयकृत इकाइयों से कम्पोजिटिंग कर रहे हैं। सूखे कचरे के प्र-संस्करण के लिये 401 नगरीय निकायों में 360 मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी इकाइयों का निर्माण किया गया है। निकायों में लिगेसी वेस्ट को वैज्ञानिक तरीके से खत्म करने की दिशा में निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं। प्रदेश के 108 नगरीय निकायों के लिगेसी वेस्ट का उपचार किया जा रहा है। स्वच्छ भारत मिशन के पहले चरण में 50 नगरीय निकायों ने अपने लिगेसी वेस्ट का पूर्ण निपटान कर लिया है। गीले कचरे की कम्पोजिटिंग के लिये कटनी और सागर में अत्याधुनिक स्वचालित इकाइयाँ कार्य कर रही हैं। इन इकाइयों में 16 शहरों से कचरा लाकर उसे कम्पोस्ट में बदला जा रहा है। इंदौर में गीले कचरे से बायो सीएनजी तैयार करने के लिये 550 टन प्रतिदिन क्षमता की गोवर्धन इकाई काम कर रही है। रीवा और जबलपुर में कचरे से बिजली बनाने की इकाइयां भी चल रही हैं। इन इकाइयों में प्रतिदिन 950 टन कचरे का प्रसंस्करण कर 18 मेगावॉट बिजली पैदा की जा रही है।  प्रदेश के 10 निकायों के लिए क्लस्टर आधारित 1019 टन प्रतिदिन क्षमता की इकाइयों के लिये केन्द्र सरकार से स्वीकृति मिल चुकी है। इंदौर और उज्जैन में 660 टन कचरे से बिजली बनाने का काम प्रस्तावित है। इस यूनिट में करीब 12.15 मेगावॉट बिजली पैदा होगी। इन सब कामों से प्रदेश के नगरीय निकाय वर्ष 2027 तक कचरा प्रबंधन में आत्मनिर्भर बन सकेंगे।