मंडल अध्यक्षों के लिए न दबाव और न किसी की चलेगी सिफारिश नवंबर माह में बीजेपी करेगी नए मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति…उज्जैन में भी दावेदारों की कमी नहीं
दैनिक अवंतिका उज्जैन
उज्जैन। बीजेपी नये मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति नवंबर माह में करेगी, ऐसी जानकारी हमें भोपाल सूत्रों से मिली है। बीजेपी शीर्ष नेताओं ने यह स्पष्ट किया है कि मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति में न तो किसी का दबाव ही रहेगा और न ही किसी के लिए किसी की सिफारिश ही मायने रखेगी। गौरतलब है कि उज्जैन में भी इस पद के लिए कई दावेदार है।
संगठन चुनाव को लेकर पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि पदाधिकारियों की नियुक्ति में न दबाव चलेगा और न ही सिफारिश। मंडल अध्यक्ष हों या जिलाध्यक्ष उनकी नियुक्ति परफॉर्मेंस के आधार पर होगी। इसके लिए पहले रायशुमारी कराई जाएगी, अगर जरूरत पड़ी तो लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराए जाएंगे।
संगठन पर्व के साथ बूथ अध्यक्ष के चुनाव कराए जाएंगे। बूथ अध्यक्ष का चयन और मंडल प्रतिनिधि चुनने के बाद बूथ अध्यक्ष और मंडल प्रतिनिधि ही मंडल अध्यक्ष का चुनाव करेंगे। इसके बाद जिलाध्यक्ष का चुनाव कराया जाएगा। पार्टी ने सभी 64,871 बूथों पर चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। मप्र भाजपा के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल का कहना है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देशन में समयावधि तय होती है।
उसी आधार पर सदस्यता, सक्रिय सदस्यता और फिर निर्वाचन की प्रक्रिया होती है। यह सब केंद्रीय नेतृत्व ही तय करता है। गौरतलब है कि भाजपा हर तीन साल में अपने संगठन और अध्यक्ष में बदलाव करती है। यह बदलाव चुनाव या फिर रायशुमारी के आधार पर होते हैं और कहीं-कहीं सर्वसम्मति भी बन जाती है। फिलहाल चुनाव की जो तारीखें आई हैं, जिसमें 1 नवम्बर से 15 नवम्बर तक मंडल अध्यक्षों का चुनाव होना है और इसके बाद 16 नवम्बर से 30 नवम्बर तक जिलाध्यक्षों के चुनाव भी करवा लिए जाएंगे।
साढ़े चार साल बाद मंडल अध्यक्ष के चुनाव
दिसम्बर माह में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव भी हो जाएगा और जनवरी में नया राष्ट्रीय अध्यक्ष भाजपा को मिल जाएगा। हालांकि अभी इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। मप्र में भाजपा साढ़े चार साल बाद मंडल अध्यक्ष के चुनाव कराने जा रही है। पार्टी की तैयारी नवंबर में मंडल अध्यक्षों का चुनाव कराने की है। इसके बाद जिला अध्यक्षों का चुनाव होगा। पहले रायशुमारी से अध्यक्ष चुने जाने की मंशा है। सहमति न बनने पर ही लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराए जाएंगे। यह अवश्य ध्यान में रखा जाएगा कि किसी विधायक या मंत्री के दबाव में मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति न होने पाए। दरअसल, पहले कोरोना संक्रमण फिर, विधानसभा और लोकसभा चुनाव के चलते भाजपा संगठन के चुनाव पिछले साढ़े चार साल से नहीं हो पाए थे। लेकिन अब केंद्रीय नेतृत्व ने चुनाव कराने की समय सीमा तय कर दी है। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में कार्यकतार्ओं की परफॉर्मेंस भी मंडल और जिला अध्यक्ष के चयन का आधार होगी। संगठन पर्व के दौरान अधिक से अधिक सदस्य बनाने वालों नामों की अनुशंसा की जा सकती है।