उज्जैन में भी पवन ऊर्जा परियोजना स्थापित करने की तैयारी, तीन हजार मेगावाट का लक्ष्य

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उज्जैन। सूबे की मोहन सरकार उज्जैन में भी पवन ऊर्जा परियोजना स्थापित करने की तैयारी में है। बताया गया है कि इसकी क्षमता तीन हजार मेगावाट होगी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि 21 फीसदी नवकरणीय ऊर्जा का योगदान अब मध्यप्रदेश में हो गया है और कई बड़े सौर ऊर्जा पार्क स्थापित किए गए, तो अब अगले एक साल में सभी सरकारी इमारतों की छतों पर सोलर प्लांट लगेंगे। मिशन मोड में 2025 तक सभी शासकीय भवनों पर सोलर रूफटॉप लगाने का लक्ष्य है। आगर, धार, अशोकनगर, भिंड, शिवपुरी और सागर जिलों में 15 हजार हेक्टेयर भूमि चिन्हित की गई है, जहां 7 हजार 500 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित की जाएगी। उज्जैन, आगर, धार, मंदसौर और रतलाम में 3 हजार मेगावाट पवन ऊर्जा स्थापित करने का लक्ष्य है। राज्य सरकार पंप हाइड्रो ऊर्जा भंडारण परियोजनाओं के सुगम विकास के लिए राज्य की मौजूदा पंप हाइड्रो कार्य योजना में जरूरी बदलाव करने पर विचार कर रही है। मुख्यमंत्री ने बताया कि 21 फीसदी नवकरणीय ऊर्जा का योगदान अब मध्यप्रदेश में हो गया है और कई बड़े सौर ऊर्जा पार्क स्थापित किए गए, तो अब अगले एक साल में सभी सरकारी इमारतों की छतों पर सोलर प्लांट लगेंगे। नर्मदापुरम में 464 करोड़ की लागत में 227 एकड़ में अत्याधुनिक मैन्युफैक्चरिंग जोन भी स्थापित किया जा रहा है और एक रुपए टोकन राशि पर जमीन का आबंटन किया जाएगा और लीज रेंट की वार्षिक दर भी एक रुपए प्रति वर्गमीटर रहेगी, तो बिजली दर में 4 रुपए 36 पैसे प्रति यूनिट पहले 5 सालों तक छूट रहेगी। उसके अलावा भी कई अन्य रियायतें भी प्रदेश सरकार दे रही है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि मध्यप्रदेश असंभव को संभव करने की शक्ति रखता है। वर्ष 2012 में प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा की क्षमता 500 मेगावॉट से भी कम थी, लेकिन प्रदेश में अलग से विभाग का गठन कर तथा नीतियों और विभिन्न प्रोत्साहन के फलस्वरूप ही पिछले 12 सालों में राज्य की नवकरणीय ऊर्जा क्षमता में 14 गुना से अधिक वृद्धि हुई और आज राज्य की कुल ऊर्जा क्षमता में 21 प्रतिशत नवकरणीय ऊर्जा का योगदान है।
मध्यप्रदेश नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में नवाचार करने में भी अग्रणी राज्य है। रीवा सौर परियोजना के अंतर्गत बड़े-बड़े सौर ऊर्जा पार्क स्थापित किए। जहां से पहली बार देश में कोयला उत्पादित ऊर्जा से भी सस्ती सौर ऊर्जा उपलब्ध कराई गई है। रीवा सोलर प्लांट से दिल्ली मेट्रो को बिजली दी गई और इसे विश्व स्तर पर एक आदर्श परियोजना के रूप में मान्यता मिली है। हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में भी रीवा सौर परियोजना को केस स्टडी के रूप में पढ़ाया जाता है। आगर-शाजापुर-नीमच सौर परियोजना के नीमच सौर पार्क में देश का न्यूनतम टैरिफ 2.14 रूपए प्रति यूनिट है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आगर-शाजापुर-नीमच में 1500 मेगावाट क्षमता का सोलर पार्क निर्माणाधीन है। माँ नर्मदा पर ओंकारेश्वर में 600 मेगावाट क्षमता की दुनिया की सबसे बड़ी फ्लोटिंग सोलर परियोजना विकसित की जा रही है। इसमें 200 मेगावाट परियोजना के पैनल लगाए जा चुके हैं। इस परियोजना से वाष्पीकरण से होने वाली जल की हानि भी कम होगी।

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