देश की तरक्की में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना जरूरी : राष्ट्रपति

 इंदौर।  देश की तरक्की में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना जरूरी है। महिलाएं आगे आएंगी तभी देश 2047 में दुनिया में सबसे मजबूत देश होगा। यह बातें भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में आयोजित दीक्षांत समारोह में कहीं। उन्होंने यहां पर अलग-अलग कोर्स के 46 टॉपर्स को गोल्ड और सिल्वर मेडल दिए।

इनमें इंजीनियरिंग, साइंस, आर्ट्स, कॉमर्स, मैनेजमेंट सहित विभिन्न कोर्स में वर्ष 2023 में टॉप करने वाले छात्र शामिल रहे। 11 छात्राओं व दो छात्रों के नाम सिल्वर मेडल पाने वालों में भी थे। आईएमएस की छात्रा मुस्कान पारीक, एमए की आसरा हुसैन, बीए संस्कृत की टॉपर डिम्पल यादव और कॉमर्स के यश शर्मा को दो-दो गोल्ड मेडल मिले। समारोह में इंजीनियरिंग कर चुके शुभ लाड को चार पदक दिए गए। तीन विद्यार्थियों को तीन और 13 छात्र-छात्राओं को दो-दो पदक दिए गए। पदक हासिल करने वालों में छात्राओं की संख्या ज्यादा है। समारोह में मेडल पाने वाले छात्रों के अभिभावक भी शामिल हुए। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि इंदौर शहर के नागरिकों ने अपनी मेहनत से स्वच्छता में असाधारण उदाहरण पेश किया है। देवी अहिल्या शिक्षा का महत्व समझतीं थी। उन्होंने महिला सशक्तिकरण के लिए जीवन भर काम किया। उन्होंने अपने आत्मविश्वास से बड़े निर्णय लिए और समाज को मजबूत किया। देवी अहिल्या की मेहनत का परिणाम है की आज मेडल प्राप्त करने में बेटों से ज्यादा बेटियां हैं। भारत 2047 में दुनिया का सबसे मजबूत देश होगा जिसमें आधी आबादी यानी महिलाओं की भूमिका सबसे अधिक होगी। इसलिए उन्हें उच्च शिक्षित करें।  कार्यक्रम में कुलाधिपति मंगू भाई पटेल, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी संबोधित किया। कुलाधिपति मंगू भाई पटेल ने कहा कि इंदौर शहर ने स्वच्छता में जो मुकाम पाया वह नागरिकों की मेहनत से मिला। उन्होंने देवी अहिल्या के संघर्षों को बताते हुए कहा की उन्होंने जीवन में खुद के लिए कुछ भी संचित नहीं किया। जनता के लिए सब कुछ समर्पित कर दिया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि देवी अहिल्या ने संघर्षों के बीच शिक्षा प्राप्त की और धर्म के प्रचार के लिए पूरे भारत में काम किया। छात्रों के लिए उनका पूरा जीवन प्रेरणा है। उन्होंने उस दौर में काम किया जब मंदिर ध्वस्त किए जा रहे थे, अंग्रेजों का शासन था। विपरीत परिस्थितियों में भी उन्होंने सबसे बेहतर सुशासन करके दिखाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह से देवी अहिल्या ने संघर्ष किया उसी तरह हमारी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी कड़े संघर्षों के बीच शिक्षा प्राप्त की और राष्ट्रपति पर तक पहुंची।