सोलर की रोशनी से जगमगाएंगे जिले के पंचायत भवन

उज्जैन। उज्जैन जिले के पंचायत भवन अब जल्द ही सोलर की रोशनी से जगमगाएंगे। दरअसल पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने 700 करोड़ रुपए सालाना जमा होने वाले पंचायतों के बिजली बिल को कम करने के लिए सोलर और विंड एनर्जी के जरिये पंचायतों को रोशन करने की तैयारी शुरू की है।

पंचायतों की आर्थिक स्थिति का परीक्षण करने के बाद अब सोलर और विंड एनर्जी के विकल्प के लिए कंसल्टेंसी एजेंसी तैनात करने की कार्रवाई की जाएगी। पंचायत और ग्रामीण विकास 700 करोड़ का बिजली बिल कम करना चाहता है, इसीलिए सोलर और विंड एनर्जी के उपयोग के जरिये पंचायतों में बिजली उपयोग को बढ़ावा देने पिछले माह कंसल्टेंसी एजेंसी से ऑफर बुलाए हैं। ऑफर के लिए कितनी कंपनियां सामने आती हैं, उसका परीक्षण करने के बाद ईओआई फाइनल किए जाएंगे। विभाग के अफसरों का कहना है कि कंसल्टेंसी एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर पंचायतों में सोलर और विंड एनर्जी उपकरण लगाए जाने की प्रक्रिया सरकार शुरू कर सकती है। इसके लिए सबसे पहले पंचायत भवन और सामुदायिक उपयोग में आने वाले अन्य भवनों की बिजली कनेक्शन के मामले दायरे में लिए जाएंगे। मोहन सरकार चाहती है कि बिजली की बचत के साथ पंचायतों की आय का स्त्रोत भी कंसल्टेंसी रिपोर्ट आने तक तय हो जाए, ताकि अगर एजेंसी चरण वार सोलर पैनल लगवाने के सुझाव दे तो पंचायतों को सरकार से मामूली मदद और खुद की आय के आधार पर सोलर एनर्जी जनरेट करने पैनल लगवाने में आसानी हो। सरकार का मानना है कि सोलर एनर्जी का अच्छा उत्पादन हुआ तो गांवों में घरों में भी सोलर बिजली की सप्लाई होगी और लोगों को बिल में राहत मिलेगी।
 पीएम सूर्य शक्ति योजना का भी सहारा

पंचायतों में सोलर एनर्जी से बिजली प्रदाय के लिए पीएम सूर्य शक्ति योजना का भी सहारा लिया जाएगा। इसके लिए पूर्व में भी कवायद की गई थी और कुछ जिलों में स्टडी कराई गई थी। सूर्य शक्ति योजना के पहले चरण में 5 हजार से अधिक आबादी वाली 714 ग्राम पंचायतों और हाट बाजारों वाले सभी गांवों, सभी जिलों और जनपद पंचायत कार्यालयों को सूर्य शक्ति अभियान में शामिल करने का फैसला हुआ था जिस पर अभी अमल नहीं हो सका है। पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के अफसरों के अनुसार वर्तमान में 23010 पंचायतें हैं। जल जीवन मिशन के काम में तेजी लाने के साथ पंचायतों में नल जल कनेक्शन से पानी दिया जा रहा है। इसके लिए टंकी में पानी भरने और सप्लाई के लिए बिजली की जरूरत होती है। साथ ही सैकड़ों ऐसी पंचायतें भी हैं, जो आर्थिक रूप से सक्षम होने के बाद ग्रामीण इलाकों में सड़कों के किनारे स्ट्रीट लाइट्स लगवा चुकी हैं, लेकिन उनका बिजली बिल जमा करना हो तो सरकार की ओर ताकना पड़ता है। ऐसी ही स्थिति पंचायत भवन, सामुदायिक भवन और पंचायतों द्वारा बनाए गए हाट बाजारों के मामले में भी है।