पशु चिकित्सा विभाग में उच्च अध्ययन का नाम वर्ष की छुट्टी लेना काम नौकरी ज्वाईन की और बगैर वेतन अध्ययन अवकाश ले लिया -ग्रामीणों की स्थिति मवेशी उपचार के लिए आसमान से गिरे खजूर में अटके जैसी

दैनिक अवंतिका उज्जैन।

उज्जैन। पशु चिकित्सा विभाग उज्जैन में उच्च अध्ययन के नाम पर परीविक्षा अवधि में ही बगैर वेतन लंबे अवकाश पर जाने का काम जमकर चल रहा है। पिछले 6 माह में ही तीन सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी ऐसे ही अवकाश पर हैं और ग्रामीणों को उनकी नियुक्ति के बाद जो लाभ मिलना चाहिए था वो नही मिल पा रहा है।

पशु चिकित्सा विभाग ने मार्च में सहायक पशु चिकित्सा अधिकारियों की नियुक्ति की थी। इसी में बिछडौद एवं घोंसला अस्पताल को लेकर भी नियक्ति की गई थी। बिछडौद के पशु औषधालय में सीता कौशिक की नियुक्ति की गई थी एवं घोंसला पशु औषधालय में प्रियंका चौगड को नियुक्त किया गया था। दोनों ही परीविक्षा अवधि के प्रारंभिक कुछ माह में ही लंबे अवकाश पर निकल ली हैं। दोनों ही क्षेत्र आसपास के 50 गांवों से घिरे हुए हैं और यहां चिकित्सक नहीं होने से ग्रामीण परेशान हो रहे हैं।

एक ने चार माह,दुजे ने ज्वानिंग दी-

विभागीय सूत्रों के अनुसार सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी पद पर पशु औषधालय बिछडौन में नियुक्त सीता कौशिक ने करीब 4 माह कार्य किया है। घोंसला पशु औषधालय में नियुक्त प्रियंका चौगढ ने ज्वानिंग दी है। इसके बाद से ही दोनों विभाग में उच्च अध्ययन का 1 वर्ष का एलडब्ल्यूपी लिव विदाउट पे का आवेदन देकर चली गई हैं। अब हाल यह है कि दोनों ही औषधालय खाली पडे हैं और ग्रामीणों के हाल आसमान से गिरे और खजूर में अटके से हो गए हैं।

नियमानुसार नहीं ले सकते अवकाश-

इधर विभागीय सूत्रों का कहना है कि परीविक्षा अवधि के 3 साल में लिव विदाउट पे की पात्रता नहीं होती है। उच्च अध्ययन के लिए भी इसकी पात्रता 5 वर्ष सेवावधि के उपरांत ही बनती है। पूर्व में परीविक्षा अवधि 2 वर्ष थी जिसे राज्य सरकार ने बढाकर तीन वर्ष किया है।

विभागीय अधिकारी पुत्री भी गई-

विभागीय सूत्रों का कहना है कि ऐसे ही कुछ माह पूर्व विभाग के एक प्रथम श्रेणी अधिकारी की पुत्री भी सहायक पशु चिकित्सा क्षेत्र अधिकारी के पद पर पदस्थ होते हुए परीविक्षा अवधि में ही उच्च अध्ययन के लिए चली गई हैं। सूत्रों का कहना है कि उन्हेल में उन्हें पदस्थी मिली थी।

-इसकी अनुमति विभागीय संचालक देते हैं। हमने आवेदनों को लेकर संचालनालय को पत्र देते हुए आवेदकों को भी सूचित कर दिया है कि वे इसके लिए संचालक से ही संपर्क करें। नियमानुसार संचालक ही इस पर निर्णय करते हैं।

-एमएल परमार,उपसंचालक,पशु चिकित्सा विभाग,उज्जैन