लंबे समय से अटका साइबर थाना और साइबर सेल बनाने का प्रस्ताव….भोपाल में शिकायतों पर कार्रवाई का बोझ
प्रस्ताव लगभग डेढ़ वर्ष से लंबित है
प्रदेश के हर जिले में एक साइबर थाना और प्रदेश के हर थाने में साइबर सेल बनाने का प्रस्ताव लगभग डेढ़ वर्ष से लंबित है। बजट की कमी के चलते इसे स्वीकृति नहीं मिल पा रही है। इसके अतिरिक्त साइबर की शिकायतों के त्वरित निराकरण के लिए प्रदेश में पर्याप्त अमला भी नहीं है। स्थिति यह है कि वर्ष 2018 में 290 अधिकारी कर्मचारियों का अमला सरकार ने स्वीकृत किया था। तब शिकायतों की संख्या पांच हजार से कम रहती थी। शिकायतों की संख्या लगातार बढ़ते हुए अब प्रतिवर्ष ढाई लाख से अधिक पहुंच गई है, पर नए पद स्वीकृत करने की जगह पुराने में ही लगभग 70 पद रिक्त हैं। विशेषज्ञों की भी पर्याप्त टीम पुलिस के पास नहीं है। दक्ष लोगों की अलग से भर्ती करने की जगह पहले से कार्यरत पुलिसकर्मियों को अलंग-अलग श्रेणी का प्रशिक्षण देकर साइबर का काम लिया जा रहा है। कुछ पुलिसकर्मियों को छह माह का प्रशिक्षण दिया गया है। सुरक्षा का विषय होने के कारण निजी साइबर एक्सपर्ट की सेवाएं भी पुलिस नहीं ले पा रही है। प्रदेश भर की शिकायतों पर कार्रवाई का बोझ इसी एकमात्र थाने पर होता है। कम अमले और काम अधिक होने की वजह से समय पर जांच तक नहीं हो पाती है।