मालवा-निमाड़ में सोयाबीन की फसल खतरे में

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मालवा-निमाड़। देश के सबसे बड़े सोयाबीन बेल्ट मालवा-निमाड़ में सोयाबीन की फसल खतरे में है। यह मानसून में हो रही बारिश के कारण पैदा हुआ है। फसल इन दिनों या तो खेतों में खड़ी है या कटने के बाद खलिहान में है। कई जगह तो खेतों में ही सूखने के लिए सोयाबीन की ढेरियां रखी हुई हैं। ऐसे में इन दिनों हो रही बारिश से किसानों परेशान हैं।

किसानों का दावा है कि रुक-रुककर हो रही बारिश से फसल को करीब 20 प्रतिशत तक नुकसान हुआ है। फसल अभी खेत में खड़ी है, उसके दानों में काला दाग लगने की आशंका भी है। खंडवा जिले में दो लाख हेक्टेयर सोयाबीन में कुछ किस्म में पहले ही अफलन की स्थिति थी। अब जैसे-तैसे उगी फसल पर भी बारिश से संकट है। 20 से 30 प्रतिशत उत्पादन प्रभावित हुआ है। देवास जिले में लगभग 3.45 लाख हेक्टेयर सोयाबीन रकबा है। यहां कीट व्याधि, अफलन की स्थिति के बाद मानसून ने स्थिति और बिगाड़ दी है। किसानों ने बताया कि  कम अवधि वाली सोयाबीन की किस्मों में काफी नुकसान की आशंका है। शाजापुर जिले में दो दिनों से हुई बारिश के कारण कटाई बंद है। कही-कहीं तो खेतों में कटी रखी फसल बह गई है।  सोयाबीन काली पड़ने लगी है। 20 से 25 फीसदी उत्पादन प्रभावित होने की आशंका है। झाबुआ जिले में पककर तैयार फसलों को नुकसान की आशंका है, वहीं रतलाम जिले में तेज बारिश से खेतों में काटकर रखी सोयाबीन बह रही है। पकी सोयाबीन पानी लगने से दागी हो जाती है और बेचने पर इसके भाव निम्न स्तर के मिलते हैं। खरगोन जिले में सोयाबीन का रकबा 85 हजार हेक्टेयर है। तेज बारिश और खेतों में पानी जमाव के कारण सोयाबीन पांच प्रतिशत और मक्का, कपास व मिर्च सात प्रतिशत खराब हुई है। धार जिले में तीन लाख 15 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की बोवनी हुई है। राजगढ़ क्षेत्र के दंतोली ग्राम में 50 प्रतिशत फसल पर दाग लग गया है। जिले में औसतन 15-20 प्रतिशत फसल प्रभावित हुई है। मंदसौर जिले में फसल कटाई का दौर चल रहा है। दो दिनों से जिले में बारिश से खड़ी फसल संकट में है।

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