केबल कार चलाने को लेकर सात स्थानों का चयन, सर्वे शुरु

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600 करोड़ रुपये खर्च होंगे योजना पर, आईबस, मेट्रो के बाद अब एक ओर कदम

इंदौर। शहर के भीड़ भरे क्षेलों में यातायात का दबाव कम करने को लेकर एक और प्रयास प्रारंभ किया जा रहा है। इसके पहले शहर के मुख्य मार्गों पर बड़ी बसें बंद कर उनके स्थान पर डबल डेकर बस चलाने की तैयारी की गई है तो वहीं अब शहर में सात स्थानों पर केबल कार की संभावनाएँ देखने के बाद इसका सर्वे प्रारंभ किया गया है।

सर्वे करने वाली एजेंसी ने बताया कि शीघ्र ही वे पूरी डीपीआर बना देंगे हालांकि पूरे प्रोजेक्ट की तैयारी में अभी उन्हें चार माह और लगेंगे।
लोक परिवहन के लिए इंदौर में केबल कार की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। इसको लेकर कुछ समय से एक एजेंसी सर्वे कर रही है, जिसने सात रास्तों पर इन्हें चलाने का सुझाव दिया है। ये रास्ते भीड़भाड़ वाले क्षेत्र के हैं, जहां अन्य वाहनों की आवाजाही आसान नहीं होती है।
इंदौर में ट्रैफिक सबसे बड़ी समस्या है, जिसको लेकर सरकारी महकमा लगातार प्रयास कर रहा है। बीआरटीएस पर आइ बस चल रही हैं तो मेट्रो ट्रेन आने में समय है। इसके अलावा सड़कों पर चलने वाले लोक परिवहन वाहन कम हैं, जिसके चलते केबल कार पर तीन साल से मंथन चल रहा है। दूरी करीब 1.3 किमी होगी।
इसकी घोषणा तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने की थी। उसके बाद आइडीए ने वैपकोस एजेंसी को सर्वे कार्य दिया था। एजेंसी ने एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें सात रास्तों पर केबल कार चलाने का सुझाव दिया है। हालांकि उन पर विचार करने के बाद फैसला किया जाएगा।

एक किमी पर 100 करोड़ खर्च होंगे —

इसे पीपीपी मॉडल पर बनाया जाएगा। रिपोर्ट में केबल कार लगाए जाने के खर्च का भी अनुमान लगाया गया है। उसके अनुसार प्रति किलोमीटर 100 करोड़ रुपए व्यय होगा, इसमें जीएसटी अलग है।
रिपोर्ट के अनुसार सात रास्तों पर केबल कार 60.12 किमी का सफर तय करेंगी। 41 स्टेशन होंगे, जिनकी औसत ग्रीन व येलो लाइन शहर के पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्र को जोड़ती है।
पीक ऑवर्स में यहां काफी ट्रैफिक दबाव रहता है। ब्लू व ऑरेंज लाइन सुपर कॉरिडोर स्थित मेट्रो को सीधे एमजी रोड से जोड़ेगी। पर्पल लाइन सीएमपी हाई डिमांड कॉरिडोर प्रस्तावों से की गई है।
दक्षिणी क्षेत्र विकसित हो रहा है और भविष्य की संभावनाएं हैं। इसके लिए रेड-ये लाइन बना रहे हैं।

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