उज्जैन में बनेगी कचरे के ढेर से बिजली, पावर संयंत्र लगाने की तैयारी में सरकार

उज्जैन। उज्जैन में निकलने वाले कचरे से बिजली बनाने की तैयारी है और इसके लिए पावर संयंत्र लगाया जाएगा। इसके बाद न केवल शहरवासियों को सस्ती बिजली मिलेगी वहीं बार-बार होने वाली बिजली की समस्या से भी निजात मिलेगी।
बता दें कि प्रदेश के  जिन पांच शहरों में कचरे से बिजली बनाने के लिए संयंत्र लगाए जा रहे है

उनमें उज्जैन भी शामिल है। फिलहाल प्रदेश के दो शहरों में अभी कचरे से बिजली बनाने का काम किया जाने लगा है। इसकी सफलता को देखते हुए अब भोपाल, ग्वालियर, रतलाम, इंदौर, उज्जैन व सागर नगर निगम भी पावर संयंत्र लगाने की तैयारी की जा रही है। फिलहाल प्रदेश में जिन दो शहरों में कचरे से बिजली का उत्पादन शुरु हो चुका है, उनमें जबलपुर और रीवा शामिल है। अब जिन पांच शहरों में बिजली संयंत्र लगाए जा रहे हैं उनकी उत्पादन क्षमता हर रोज छह से लेकर 12 मेगावाट तक की होगी। इन संयत्रों को लगाने के लिए डीपीआर तैयार करने का काम जारी है। संयंत्रों में 50 माइक्रोन या उससे कम की पॉलीथिन व सूखे कचरे से बिजली तैयार होगी। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में एक वर्ष में 1 लाख 38 हजार 483 टन प्लास्टिक वेस्ट निकला है। इंदौर में 60 हजार और भोपाल में 25 हजार 288 टन वेस्ट निकलता है। बिजली बनाने का पहला प्लांट जबलपुर के कठौंदा में 2014 में लगा था। यह वर्ष 2016 में बनकर तैयार हुआ और 11 मई 2016 से बिजली बनने लगी। प्लांट की क्षमता 11.7 मेगावाट प्रतिदिन की है।

ऐसे बनती है कचरे से बिजली

कचरे से बिजली दो तरह से बनाई जाती है। इसमें पहला अपशिष्ट को जलाया जाता है, जिससे गर्मी निकलती है। यह गर्मी बॉयलर में पानी को भाप में बदल देती है। उच्च दबाव वाली भाप टर्बाइन जनरेटर के ब्लेड को घुमा कर बिजली पैदा करती है। दूसरी प्रक्रिया में ज्वलनशील कचरे को प्रोजेक्ट में लगे भट्टे में जलने के लिए डाला जाता है, जहां कचरे के जलने से उत्पन्न ऊष्मा से उस भट्टे से जुड़ी सोलर प्लेट गर्म होती है और बिजली आपूर्ति शुरू हो जाती है।

लोगों को सस्ती बिजली मिलेगी

लोगों को सस्ती बिजली मिलेगी। मेंटेनेंस की प्रोसेस भी आसान होगी। बिजली गुल होने की समस्या भी नहीं रहेगी। शहर को कचरे से मुक्ति मिलेगी। अभी तक निकायों में बेहतर अपशिष्ठ प्रबंधन का कोई उपाय नहीं किया गया है। कचरे से बिजली बनाना बेहतर अपशिष्ठ प्रबंधन सबसे अच्छा माध्यम है। जिसमें कोई प्रदूषण नहीं होता। इससे कचरा बेहतर डिस्पोज भी होता है। इसके अभाव में ट्रेचिंग ग्राउंड पर कचरा और संक्रमण दोनों तेजी से बढ़ रहा है।