खाता खुलवाने वाले 10 दिन की रिमांड पर अजमेर-गाजियाबाद में इगी करने वाले बदमाशों की तलाश
दैनिक अवंतिका उज्जैन
उज्जैन। सेवानिवृत्त अधिकारी और उनकी पत्नी को डिजिटल अरेस्ट कर ढाई करोड़ की ठगी करने वाले गिरोह से जुड़े 2 ओर आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर 10 दिनों की रिमांड पर लिया गया है। वहीं सेवानिवृत्त बैंक मैनेजर के साथ 50.71 लाख की ठगी करने वाला भी रिमांड पर है। पुलिस दोनों मामलों में गिरोह से जुड़े बदमाशों की अजमेर-गाजियाबाद में तलाश कर रही है।
माधवनगर थाना क्षेत्र में अगस्त और सितंबर माह के बीच शातिर बदमाशों ने सेवानिवृत्त बैंक मैनेजर राकेश जैन को डिजिटल अरेस्ट करते हुए खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर 50.71 लाख की राशि अपने अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करा ली थी। वहीं हिन्दुस्तान कॉपर लिमिटेड के सेवानिवृत्त अधिकारी रविन्द्र कुलकर्णी और उनकी पत्नी अनामिका को डिजीटल अरेस्ट कर 2.55 करोड़ का ट्रांजेक्शन 9 खातों में करा लिया था। दोनों मामलों के सुराग पुलिस को गाजियाबाद और अजमेर से मिलना शुरू हो गये है। गाजियाबाद से 50.71 लाख की ठगी में अर्जुन पिता सेंसर पाल को गिरफ्तार किया गया है। जो 8 दिनों की रिमांड पर है। उसके गिरोह से जुड़े साथियों की तलाश में एक टीम गाजियाबाद पहुंच चुकी है। 2.55 करोड़ की ठगी में पुलिस को गिरोह से जुड़ी युवती सेठा पिता कम्मासिंह निवासी अजमेर और उससे जुड़े राजेन्द्र रावत और दिलीपसिंह निवासी अजमेर और बीकानेर को गिरफ्तार करने में सफलता मिली है। सेठा को जेल भेजा जा चुका है। राजेन्द्र और दिलीप पुलिस की 10 दिनों की रिमांड पर है। दोनों को एक टीम राजस्थान के अजमेर लेकर रवाना होने वाली है। जहां गिरोह से जुड़े शातिर बदमाशों की तलाश शुरू की जायेगी।
राशि बरामद करना पुलिस के लिये चुनौती
शहर में अब तक बदमाशों द्वारा डिजिटल अरेस्ट का भय दिखाकर 3 बड़ी ठगी को अंजाम दिया है। सबसे पहले अप्रैल माह में स्टील व्यापारी चरणजीत से एयवेज मालिक नरेश गोयल के द्वारा किये गये फ्रॉड की राशि उसके खातों आने का झांसा देकर 2 करोड़ का ट्रांजेक्शन करा लिया था। वहीं सेवानिवृत्त अधिकारी रविन्द्र कुलकर्णी और बैंक मैनेजर राकेश जैन से भी 3 करोड़ 5 लाख 71 हजार की ठगी कर ली थी। तीनों मामले माधवनगर थाना क्षेत्र के होने पर पुलिस ने बिहार के 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया था, वहीं बैक मैनेजर से हुई ठगी में एक और सेवानिवृत्त अधिकारी के साथ हुई ठगी में 3 आरोपी हिरासत में आ चुके है। सभी के खातों का उपयोग ठगी में किया गया था। पुलिस अब तक ठगी की राशि बरामद करने में सफल नहीं हो पाई है। कुछ खातों को होल्ड कराया गया है। राशि बरामद करना पुलिस के लिये सबसे बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। बदमाश खातों में राशि आते ही निकाल लेते है और गायब हो जाते है।