सर्वपितृ अमावस्या पर..शिप्रा नदी पर देखने को मिले डरावने दृश्य.. महिलाओं ने डरावनी आवाज निकाली और तलवार से अपनी जीभ काटी….बुरी आत्मा को भगाने के लिए क्रियाएं हुई..  हजारों लोगों ने शिप्रा में डुबकी लगाई…पितरों के नियमित पिंडदान, तर्पण कर दान पुण्य भी किया

दैनिक अवंतिका उज्जैन। सर्व पितृ अमावस्या पर कल हजारों लोगों ने शिप्रा में डुबकी लगाकर अपने पितरों के निमित्त पिंडदान, तर्पण कर दान पुण्य किया। बुधवार को सर्वपितृ  अमावस्या थी और इसे भूतड़ी अमावस्या भी कहते हैं। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु व ग्रामीण क्षेत्र से लोग उज्जैन पहुंचे और 52 कुंड व शिप्रा नदी में बुरी आत्माओं को भगाने के लिए डुबकी लगाकर क्रियाएं भी की।  मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से कष्ट और भूत-प्रेत की बाधा दूर होती है।

शिप्रा नदी पर देखने को मिले डरावने दृश्य 
महिलाओं ने डरावनी आवाज निकली और तलवार से अपनी जीभ  काटी 
 शिप्रा नदी के घाटों पर कुछ ऐसे दृश्य देखने को मिले जिसमें ग्रामीण महिलाएं हाथ में तलवार लिए झांझ,मंजीरे व ढोल की थाप पर झूमती हुई नदी में डुबकी लगाकर डरावनी आवाज निकाल रही है। और उसके बाद महिला  तलवार की धार को अपनी जीभ से लगाकर तेजी से फैरती है। महिलाएं की जीभ से खून भी निकलता है। बाद में परिजन महिला को चुनरी ओढ़ाकर बैठाया जाता है और  शिप्रा में डुबकी लगवाई जाती है यह दृश्य शिप्रा नदी घाटों व बावन कुंड पर कल  देखने को मिले।
 कल श्राद्ध की अंतिम तिथि के साथ ही सर्वपितृ अमावस्या भी थी और  शिप्रा के सभी घाटों पर सुबह से स्नान तर्पण सहित पिंडदान करने के लिए लोगों की जबरदस्त भीड़ थी। लेकिन कई घाट पर जगह-जगह कीचड़ फैला हुआ था तथा घाट के ऊपर पानी होने की वजह से लोगों को स्नान करने की जगह नहीं मिल पा रही थी। हालांकि जिन घाटों पर पानी उतर गया था वहां जाकर लोगों ने स्नान कर पूजा अर्चना की।
जलस्तर बढ़ने की वजह से घाटों पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे 
पिछले कई दिनों से शिप्रा का जलस्तर बढ़ा हुआ है लेकिन कल सर्वपितृ  अमावस्या के दिन छोटे पुल से पानी उतर गया था लेकिन घाटों की पेढीयां डूबी हुई थी। सभी घाटों पर होमगार्ड व पुलिस के  जवान सुरक्षा की दृष्टि से घाटों पर तैनात थे।
स्नान के बाद दान करते हैं श्रद्धालु 
 एक श्रद्धालु ने बताया हर साल चतुर्दशी की रात यहां आते हैं। भूतड़ी अमावस्या विशेष रूप से अतृप्त आत्माओं की तृप्ति के लिए होती है। श्रद्धालु नदी में स्नान के बाद दान करते हैं।