व्यावसायिक इमारत बनाकर किराए पर देने वालों के कंधों से टैक्स का बोझ कम

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दैनिक अवन्तिका इंदौर

व्यावसायिक इमारत बनाकर किराए पर देने वालों के कंधों से टैक्स का बोझ कम होने जा रहा है। इन इमारतों के निर्माण पर उनके द्वारा चुकाए गए जीएसटी का बड़ा हिस्सा वे वापस हासिल कर सकेंगे। उन्हें निर्माण के दौरान चुकाए गए टैक्स का आगे क्रेडिट मिल सकेगा। यानी आगे की टैक्स देनदारी में वे उसे समायोजित कर सकेंगे।

जीएसटी विभाग ने इमारत के निर्माण के बाद उसकी बिक्री या किराए पर देने के मामले में किसी भी तरह का इनपुट टैक्स क्रेडिट देने से इन्कार कर दिया था। सीए अनुज गुप्ता के अनुसार जीएसटी में एक नियम को विसंगतिपूर्ण माना जा रहा था। जीएसटी में एक ओर लिखा हुआ है कि निर्बाध इनपुट टैक्स क्रेडिट देना इस कानून की मुख्य विशेषता है। इसके उलट किसी इमारत को बनाने के बाद जब बेचा या किराए पर दिया जाता तो उस पर टैक्स क्रेडिट नहीं दिया जाता। निर्माणकर्ता उस टैक्स का क्रेडिट मांग रहा था जो इमारत के निर्माण के समय सीमेंट, सरिया, सेनेटरी फिटिंग से लेकर लेबर तक पर वह शासन को चुकाता है। ओडिशा की एक ऐसी इमारत सफारी रिट्रिट्स के निर्माण कतार्ओं ने शासन को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने निर्णय दे दिया था कि यदि कोई इमारत किराए पर देने के लिए बनाई गई है तो उसे आईटीसी मिलना चाहिए। इसे जीएसटी विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी।

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