10 साल बाद भी ई-आफिस के दावे खोखले, मंत्रालय सहित अन्य दफ्तरों में अभी भी जारी फिजिकल फाइल मूवमेंट

 

 

इंदौर। मप्र में तकरीबन 10 साल पहले मंत्रालय और राजधानी में संचालित होने वाले डायरेक्ट्रेट के दफ्तरों को ई आफिस सिस्टम में अपग्रेड करने की कवायद शुरू की गई थी। लेकिन विडंबना यह देखने को मिल रहा है कि सरकार की प्लानिंग को अफसर पलीता लगा रहे हैं।
यहां बाबू राज के चलते फाइलें बनाने और बिगाडने के खेल में माहिर अफसर इस व्यवस्था को लागू करने में आड़े आ रहे और इसे सफल नहीं होने देना चाहते हैं। स्थिति यह है कि मंत्रालय में इस समय तीन तरह की फाइल, ई फाइल, पी फाइल और फिजिकल फाइल मूव कर रही हैं।
फिजिकल फाइल मैन्युअल आपरेट होती है और इनका मूवमेंट भी रजिस्टर से किया जाता है।
अभी राज्य मंत्रालय, सतपुड़ा व विंध्याचल में तीन बार आग की बड़ी घटनाएं हो चुकी है।
इनमें बड़ी संख्या में कागजों का रिकार्ड जल गया। यदि ई वकिंग होती तो रिकार्ड जलने का नुकसान नहीं होता। प्रदेश में कागजी कामकाज किस कदर हावी है, इसका पता इससे ही चलता है कि 10 साल में दो सरकारों ने ई-ऑफिस के दावे किए, लेकिन मंत्रियों की ट्रेनिंग ही नहीं हुई।
2017 व 2018 में मंत्रियों व उनके कर्मचारी की ई-ऑफिस के लिए ट्रेनिंग हुई। फिर किसी सरकार में ट्रेनिंग नहीं दी गई। पहले सीएमओ, सीएस सचिवालय
व जीएडी 90 प्रतिशत तक ई-वर्किंग मंत्री ट्रेंड हैं और न ही कर्मचारी।
सिर्फ मंत्रालय और अफसर- बाबू अपने लॉग-इन से रस्म अदायगी निभा रहे हैं। कलेक्ट्रेट में भी ई-स्टोरेज व स्कैनर के सिस्टम नहीं बने। ई-ऑफिस कुछ मामलों में चलता रहा, पर अधिकांश जगह ठप है।
मंत्रालय में हर शाखा, विभागाध्यक्ष, पीएस-सचिव का ई- ऑफिस के तहत ई-वर्किंग मैन्युअली है। ई-फाइल बनती और चलती है, पर मैन्युअली काम बंद नहीं हुआ।
कुछ विभाग में मैन्युअल फाइल बनती है, फिर उसे स्कैन कर ई-ऑफिस में अपलोड कर रस्म अदायगी की जाती है।
संभाग-जिलों से आई डाक स्कैनिंग कर ई-फार्मेंट में भेजने की व्यवस्था है, बाकी मैन्युअल है। जीएडी प्रमुख सचिव ने सभी एसीएस, पीएस और सभी विभागाध्यक्षों से कहा है कि 19 मई 2016 को जीएडी द्वारा जारी निर्देश में रिकार्ड व्यवस्थित करने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं लेकिन विभाग इस पर अमल नहीं कर रहे हैं।
विभागों द्वारा नस्तीबद्ध फाइलों को सरकारी रिकार्ड में जमा नहीं कराया जा रहा है। मंत्रालय के कमरों में फाइलों को कई सालों तक बस्तों में बांधकर रखा जाता है जो मंत्रालय की सुरक्षा, स्वच्छता और आवंटित क्षेत्र व संसाधन के उपयोग के दृष्टि से ठीक नहीं है। मंत्रालय में वर्ष माड्यूल शामिल फाइल ( को जा रूप में आफिस काम 2018 2019 काम तक से है।
2018 से ई आफिस साफ्टवेयर चालू किया गया है जिसमें फाइलों के प्रबंधन के लिए दो माड्यूल हैं। एक अन्य जल्दी ही ई आफिस में होने वाला है। पहला माड्यूल मैनजमेंट सिस्टम एफएमएस) का है जिसमें फाइलों पूरी तरह ई फाइल रूप में चलाया सकता है या सिर्फ ई आफिस में रजिस्टर कर फाइलों को पी फाइल के चलाकर फाइलों के ट्रेकिंग ई के रूप में की जा सकती है।
ई-ऑफिस पर तीन बार गंभीरता से शुरू हुआ। सबसे पहले 2007-08 और दूसरी बार 2017- में काम हुआ। दोनों बार शिवराज सरकार थी। इसके बाद में कमलनाथ सरकार ने कर राज्य मुख्यालय से जिलों के लक्ष्य तय किए। इसके बाद ई-ऑफिस रस्म अदायगी बना हुआ शिवराज सरकार में 2017 व में मंत्रियों व उनके कर्मियों ई- ऑफिस की ट्रेनिंग दी थी। अफसरों फाइलों को ई-फॉर्मेट में आने की मंशा थी।