कृषि विद्यार्थी किसानों की खेती संबंधी जटिल समस्याओं के समाधान में योगदान दें

ग्वालियर ।  राज्यपाल  मंगू भाई पटेल ने कृषि विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि पारंपरिक ज्ञान एवं आधुनिक ज्ञान-विज्ञान व तकनीकी कौशल का उपयोग कर किसानों की खेती संबंधी जटिल समस्याओं के समाधान में अपना योगदान दें। साथ ही वंचित एवं दूरस्थ अंचलों तक उन्नत कृषि तकनीक पहुँचाने के प्रयास भी प्रमुखता से करें। राज्यपाल श्री पटेल ग्वालियर में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के दशम दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने उपाधियाँ प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों, उनके गुरुजनों व पालकों को बधाई व शुभकामनाएं प्रदान कीं।

कृषि विश्वविद्यालय के दत्तोपंत ठेंगड़ी सभागार में यह दीक्षांत समारोह डॉ. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा समस्तीपुर बिहार के कुलाधिपति प्रो. पी एल गौतम व भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री  दिनेश कुलकर्णी के विशिष्ट आतिथ्य में आयोजित हुआ। इस अवसर पर राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अरविंद कुमार शुक्ला, विश्वविद्यालय कार्य परिषद के सदस्य एवं आचार्य मंचासीन थे।

दीक्षांत समारोह में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात कृषि वैज्ञानिक जगदीश कुमार लड्डा, भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी  ओ पी श्रीवास्तव, अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कृषि वैज्ञानिक   पी एम गौर एवं जैविक खेती में नाम कमा रहे  वत्सल दीपक सजदे को कृषि विश्वविद्यालय द्वारा मानद उपाधि देकर सम्मानित किया गया। साथ ही 7 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक व 4 विद्यार्थियों को सिरताज बहादुर सिन्हा स्मृ‍ति नगद पुरस्कार प्रदान किए गए। वर्ष 2023-24 के कुल 979 विद्यार्थियों को दीक्षांत समारोह में उपाधियाँ प्रदान की गईं। इनमें 48 शोधार्थियों को पीएचडी, 666 को स्नातक एवं 265 विद्यार्थियों को स्नातकोत्तर उपाधियाँ प्रदान की गईं। इस अवसर पर दीक्षांत समारोह की स्मारिका का विमोचन भी किया गया। राज्यपाल  पटेल ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि आत्मनिर्भर भारत और “वोकल फॉर लोकल” की दिशा में कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों में उद्यमों की संभावनाओं को पहचानने में विश्वविद्यालयों को विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करना चाहिए। साथ ही नए विचारों व नवाचारों के द्वारा सामान्य किसानों को उत्पादक से उद्यमी बनाने के प्रयास करने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों को किसानों की बुद्धिमत्ता और कृषि प्रोफेशनल्स के कौशल के बीच की साझेदारी का मंच बनकर सबके साथ, सबके विकास व सबके विश्वास की अवधारणा के साथ कृषि के विकास में सहयोग करने के लिये आगे आना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि कृषि की अनेक उपलब्धियों के बावजूद कृषि जोतों का घटता आकार, जलवायु परिवर्तन, तापमान में वृद्धि और प्राकृतिक संसाधनों का लगातार क्षरण अभी भी खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए चुनौती बने हुए हैं। इन चुनौतियों का सामना करने के लिये किसानों को सक्षम बनाना होगा। इसके लिए व्यापक स्तर पर अनुसंधान और प्रयास करने की जरूरत होगी।