इस माह के अंतिम सप्ताह में शुरू होगा गेहूं की बुवाई का कार्य

किसान   इस अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह में गेहूं की बुवाई का काम शुरू कर देंगे और इसकी तैयारियां भी होने लगी है। किसानों का यह कहना है कि   खरीफ फसलों की कटाई का कार्य अंतिम चरण में है, इसके पश्चात अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह से  गेहूं की बुवाई का कार्य शुरू हो जाएगा। गेहूं की बुवाई के लिए किसान अभी से गेहूं की उन्नत किस्मों का चयन करने में लग गए हैं। उन्नत किस्मों के बीज की व्यवस्था एवं खाद की व्यवस्था होने लगी है। इसी के साथ खेत की तैयारियां भी की जा रही है। गेहूं की स्थापित किस्मों लोकवन, पूर्णा, पूसा तेजस पूसा, मंगल, जी डब्ल्यू 513, पूसा अहिल्या 1634 के अलावा गेहूं की नवीन वैरायटी  की भी इस वर्ष अच्छी डिमांड है।

गेहूं की नवीन वैरायटी

गेहूँ एच. आई. – 1650   पूसा ओजस्वी

परम्परागत चपाती वाली किस्मों से अधिक उत्पादन, ज्यादा बाजार भाव, अच्छा सुडौल आकर्षक दाना, कम ऊँचाई व कम बीज दर व जल्दी व कम सिंचाई में भी आने वाली, बीमारियों के प्रति प्रतिरोधकता वाली गेहूं की नवीन किस्म एच आई 1650 पिछले वर्ष विकसित हुई है जिसका बीज इस वर्ष उपलब्ध है।

गेहूँ- एच. आई. 1655   पूसा हर्षा

पूसा के सहयोगी संस्थान गेहूँ अनुसंधान केन्द्र (IARI) इंदौर द्वारा हाल ही में सुखा निरोधक, चमत्कारी गेहूं किस्म एच. आई. 1655 (पूसा हर्षा) देश के मध्य क्षेत्र हेतु समय पर बोनी के लिये, चपाती, ब्रेड एवं बिस्कुट हेतु सर्वश्रेष्ठ जारी की है।

गेहूँ – एच. आई. 8830  पूसा कीर्ति

पूसा के सहयोगी संस्थान, गेहूँ अनुसंधान केंद्र,  इंदौर द्वारा देश के मध्य क्षेत्र म.प्र. दक्षिण राजस्थान, बुंदेलखंड, गुजरात, छत्तीसगढ़ के लिये समय पर बोनी हेतु थुली, रवा, पास्ता हेतु अनुशंसित गेहूँ की यह  नवीनतम बायो फोर्टिफाइड किस्म हाल ही में जारी की है।