तीर्थ यात्रा योजना के लिए अब जरूरी होगी वित्त विभाग की अनुमति, सत्तर से अधिक योजनाओं पर वित्त विभाग ने लगाया ब्रेक

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उज्जैन। उज्जैन सहित पूरे प्रदेश के वे लोग सरकार की तीर्थ यात्रा योजना का लाभ उठा रहे है जो इस योजना के पात्र है लेकिन जो जानकारी अब सामने आ रही है वह यह है कि प्रदेश के वित्त विभाग ने करीब सत्तर से अधिक सरकारी योजनाओं पर वित्तीय पाबंदी लगा दी है और इनमें तीर्थ यात्रा योजना भी शामिल है। अर्थात इस योजना को सरकार को संचालित करने के लिए वित्त विभाग की अनुमति जरूरी रहेगी।
वित्त विभाग ने पूर्व में ही 33 विभागों के 70 से अधिक योजनाओं पर वित्तीय पाबंदी लगा दी है। इन योजनाओं के लिए पैसा खर्च करने से पहले वित्त विभाग की हरी झंडी लगेगी। यानी कि वित्त विभाग की मंजूरी के बाद ही विभाग इन योजनाओं में पैसे खर्च कर सकेंगे। जिन योजनाओं पर वित्तीय पाबंदी लागू की गई है वह सीधे आम व्यक्ति से ताल्लुक रखती हैं वित्त विभाग की ओर से जारी आदेश में यह बताया गया है कि ये पाबंदी मार्च 2025 तक लागू रहेंगी। मतलब साफ है कि नया वित्तीय वर्ष शुरू होने से पहले तक ये रोक इसी महीने से लागू रहेंगी। मप्र में अब सडक़ मरम्मत,शहरी सडक़ों के सुधार के लिए कायाकल्प योजना, पीडब्ल्यूडी की सडक़ों के सुधार, उन्नयन, डामरीकरण और नवीनीकरण के लिए वित्त विभाग की अनुमति जरूरी होगी। मुख्यमंत्री बालिका स्कूटी योजना,लाखों किसानों में बंटने वाला एक हजार करोड़ के करीब बोनस का पैसा,मुख्यमंत्री कृषक फसल उपार्जन सहायता योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना,संबल योजना अब वित्त विभाग की बिना मंजूरी के खजाने से नहीं निकलेगा, सीएम सोलर पंप स्कीम, बेरोजगार युवक- युवतियों को रोजगार की ट्रेनिंग, उच्च शिक्षा के लिए विदेश अध्ययन, तीर्थ यात्रा योजना के लिए भी वित्त विभाग की अनुमति जरूरी होगी। आर्थिक संकट से जूझ रही मप्र सरकार के वित्त विभाग ने अब फिजूलखर्ची रोकने के लिए बड़ा फैसला लिया है। दरअसल वित्त विभाग ने जहां कई योजनाओं पर वित्तीय पाबंदी लगा दी है।
इन योजनाओं के लिए पैसा खर्च करने से पहले वित्त विभाग की हरी झंडी लगेगी। यानी कि वित्त विभाग की मंजूरी के बाद ही विभाग इन योजनाओं में पैसे खर्च कर सकेंगे। जिन योजनाओं पर वित्तीय पाबंदी लागू की गई है वह सीधे आम व्यक्ति से ताल्लुक रखती हैं। वित्त विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि  ये पाबंदी मार्च 2025 तक लागू रहेंगी। वहीं वित्त विभाग ने 25 करोड़ से अधिक के आहरण पर पाबंदी लगा दी है। यानी विभाग वित्त विभाग की अनुमति के बिना इतनी राशि का आहरण नहीं कर सकते हैं।  गौरतलब है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही डॉ. मोहन यादव ने वित्तीय मैनेजमेंट पर सबसे अधिक फोकस किया है। इसके लिए उन्होंने वित्त विभाग को निर्देश दिया है कि जनहितैषी योजनाओं पर सबसे अधिक फोकस किया जाए। इसको देखते हुए वित्त विभाग ने अन्य विभागों को निर्देशित किया है कि वे अपने फंड का उपयोग आवश्यक योजनाओं पर ही करें। उधर, वित्तीय प्रबंधन के लिए एकमुश्त राशि निकालकर रखने की व्यवस्था पर रोक लगा दी गई है तो कई योजनाओं के लिए धन की निकासी से पहले वित्त विभाग की अनुमति अनिवार्य रूप से लेनी होगी। 25 करोड़ रुपये से अधिक राशि का आहरण वित्त विभाग से पूछे बिना नहीं किया जा सकता है।

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