महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं के बीच भेष बदलकर पहुंचे प्रशासक

उज्जैन। बाबा महाकाल की भस्मारती में शामिल होने वाले श्रद्धालुओं के साथ रूपये लेकर दर्शन कराने की लगातार शिकायत मिलने पर रविवार तड़के प्रशासक भेष बदलकर श्रद्धालुओं के बीच पहुंच गये। प्रशासक ने गले में गमछा और चेहरे पर मास्क लगा रखा था।
देशभर से बाबा महाकाल की भस्मारती में आने वाले श्रद्धालुओं के साथ रूपये लेकर प्रवेश कराने की शिकायते सामने आने के बाद व्यवस्थाओं का पता लगाने के लिये मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ और सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने शनिवार रात भेष बदल लिया। दोनों रात 2 बजे भस्मारती के लिये लगने वाली श्रद्धालुओं की कतार में पहुंच गये। भस्मारती में 1705 श्रद्धालुओं की अनुमति जारी हुई थी। मंदिर प्रशासक और सहायक प्रशासक ने कतार में लगे श्रद्धालुओं से पूछताछ की और पता लगाया कि किसी ने उनसे रूपये तो नहीं लिये है। इस बात की भनक मंदिर के अन्य लोगों लग गई थी कि भेष बदल कर मंदिर प्रशासक जानकारी जुटा रहे है। इस बीच सुबह 4 बजे भस्मारती का समय हो गया। जिसमें सिर्फ 1400 श्रद्धालु ही शामिल हुए। 300 श्रद्धालु नहीं पहुंच पाये थे। माना गया कि भस्मारती में शामिल नहीं हुए श्रद्धालुओं के साथ कुछ बात रही होगी, जो अनुमति के बाद भी नहीं आये है। इसका पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है।
प्रशासक ने प्रवेश गेट पर देखी व्यवस्था
महाकाल मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ ने भस्मारती अनुमति प्राप्त करने वाले श्रद्धालुओं की जानकारी लेने के साथ प्रवेश गेट का औचक निरीक्षक कर व्यवस्था देखी। उन्होने शासकीय विभाग और अन्य प्रोटोकाल अटेंडर बनकर आने वाले लोगों के प्रवेश पर 2 दिन पहले ही रोक लगा दी थी। जिसके चलते ऐसे श्रद्धालुओं की संख्या में भी 50 से 60 लोगों की कमी आ गई। जो नंदी हाल में बैठकर बाबा की भस्मारती के दर्शन करते थे।
गड़बड़ी मिलने पर होगी कार्रवाई
प्रशासक गणेश धाकड़ ने बताया कि मंदिर में श्रद्धालुओं को दर्शन बेहतर तरीके से हो सके इसके प्रयास किये जा रहे है। अगर व्यवस्था में किसी भी तरह की गड़बड़ी सामने आई तो संबंधित कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई कर उसकी सेवा समाप्त की जायेगी।