सिंहस्थ के लिए आरक्षित भूमि पर बहु मंजिला भवन बनने की राह खुलेगी

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नगर तथा निवेश विभाग द्वारा उज्जैन विकास योजना 2035 में संशोधन का प्रस्ताव रखा

दैनिक अवन्तिका उज्जैन

सिंहस्थ भूमि अब केवल सिंहस्थ आयोजन के लिए आरक्षित नहीं होगी यहां पर बहु मंजिला इमारत बनाई जा सकेगी और इस इमारत को मध्य प्रदेश भूमि विकास नियम 2012 के नियम 42 के अनुसार नियंत्रित किया जाएगा।

उज्जैन विकास योजना 2035 के प्रारूप में संशोधन के लिए नगर तथा निवेश विभाग द्वारा 14 अक्टूबर 2024 को विज्ञप्ति जारी कर दी गई है । प्रारूप की प्रति संभागायुक्त, कलेक्टर, नगरनिगम और टाउन एंड कंट्री उज्जैन के कार्यालय में अवलोकनार्थ रखी गई है। संशोधन के मामले में लिखित रूप से दावे-आपत्ति 30 दिन की अवधि में प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है।

क्या है मध्य प्रदेश भूमि विकास नियम 2022 का नियम 42
जो भवन 12.5 मीटर से 30 मी तक अधिक ऊंचाई के हैं उनके लिए योजना के मापदंड निर्धारित किए गए हैं। इसके तहत 12 मीटर तक की ऊंचाई के लिए कम से कम 1000 वर्ग मीटर, 18 मीटर तथा अधिक ऊंचाई के लिए 1500 वर्ग मीटर और 24 मीटर से अधिक ऊंचाई के लिए 2000 वर्ग मीटर का भूखंड होना आवश्यक है। सभी भूखंडों के लिए 30 प्रतिशत भूतल कवरेज ही मान्य होगा। आगे का एम ओ एस क्रमश: 7:30 मीटर, 9 मीटर और 12 मीटर रखना पड़ेगा। साथ ही भूखंड के पीछे की ओर एम ओ एस क्रमश: 6 मीटर और 7।30 मी निर्धारित रहेगा। साथ ही सभी भवनों जिनकी ऊंचाई 12.30 मीटर से अधिक है को नेशनल बिल्डिंग कोड भाग 4 में दी गई अनुशसा के अनुरूप अग्निशमन संबंधी व्यवस्था करना होगा ।

साधु-संतों को स्थाई भूखंड आवंटित होंगे
ॅ उज्जैन विकास योजना 2035 में जो संशोधन प्रस्तावित किया गया है वह निश्चित रूप से पारित हो जाना है। इसके बाद सिंहस्थ क्षेत्र की जमीन में वर्तमान में 11 अखाड़ों जिनके पास पहले से ही भवन हैं के अलावा महामंडलेश्वरों को जमीन आवंटित करने की प्रावधान किया जायेगा। इससे एक तरह से जमीनों को लेकर भारी उलट फेर सिंहस्थ भूमि पर होना निश्चित है। वर्ष 2028 में सिंहस्थ का आयोजन होना है और इसके पूर्व यदि महामंडलेश्वरों के स्तर के 100-200 साधु-संतों ने यहां जमीन लेकर अपना आश्रम निर्मित किया तो निश्चित रूप से मेला आयोजन के लिए जमीन की कमी हो जाएगी और मेला क्षेत्र का विस्तार करना होगा।
ॅ फिलहाल मेला क्षेत्र के लिए आरक्षित 3 हजार से लेकर 4 हजार हेक्टेयर जमीन की खरीद-फरोक्त में आसानी नही है। क्योंकि यहां पर भवनों का निर्माण किया जाना प्रतिबंधित है। इसलिए इस जमीन के रेट तुलनात्मक रूप से उज्जैन के आसपास के स्थान की तुलना में कम हैं।
ॅ अब यहां भी खरीद बिक्री शुरू होगी, भू-माफियों का खेल शुरू हो सकता हैं। सरकार जमीन अधिग्रहित करके आवंटित करेगी तो भी जमीनों के भाव बढ़ेंगे।

नियम का पालन कैसे करवाएगी नगर निगम
मध्य प्रदेश भूमि विकास नियमन का पालन करवाने का दायित्व नगर निगम पर है। जिस तरह से एम ओ एस छोड़ने का नियम है उस नियम का शहर के मध्य ही नगर निगम पालन करवाने में असमर्थ हैं तो सिंहस्थ क्षेत्र के प्रभावशाली अखाड़े के प्रमुखों साधु-संतों को कैसे नियंत्रित किया जाएगा। सिहस्थ क्षेत्र की अधिकांश भूमि ग्रामीण पंचायतों के अधीन आती है यह भी एक प्रश्न है। हो सकता है इन सभी प्रश्नों का उत्तर शासन के पास हो।लेकिन यह तो तय है कि वर्तमान स्वरूप में जिस तरह सिंहस्थ आयोजित होता है इस कानून के बाद में वैसा ना हो सके।

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