जिस पुलिस पर सुरक्षा की जिम्मेदारी उसी ने कर डाला 65 लाख का गबन

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पुलिसकर्मियों के वेतन भत्ते और अन्य मदों की राशि अपने परिजनों के खातों में ट्रांसफर करने का उज्जैन में भी दो साल पहले आ चुका

ऐसा ही एक मामला अभी 6 जिलों में सामने आई गड़बड़ियां

दैनिक अवन्तिका भोपाल

पुलिस कर्मियों के वेतन, भत्ते और अन्य मदों की राशि के मामले में गबन होने संबंधी मामला सामने आया है। बता दें कि करीब दो साल पहले ही उज्जैन की सेंट्रल जेल में भी गबन का मामला सामने आया था।

जिस पुलिस पर आम आदमी की रक्षा और सुरक्षा की जिम्मेदारी है, उसी के कर्मचारियों नें पुलिस कर्मियों के वेतन, भत्ते व अन्य मदों की राशि अपने परिजनों के खाते में ट्रांसफर कर करीब 65 लाख रूपए का गबन कर डाला है। अभी तक की पड़ताल में यह घपला प्रदेश के 6 जिलों में सामने आया है। मामला सामने आने के बाद पुलिस विभाग में हडकंप मच गया है।

जानकारी के अनुसार, पुलिस विभाग में सरकारी खजाने की राशि के गबन का मामला सामने आने के बाद अधिकारी सतर्क हो गए हैं। अभी तक की जानकारी के अनुसार प्रदेश के छह जिलों में लेखा का काम करने वाले पुलिसकर्मियों ने आहरण संवितरण अधिकारी (डीडीओ) के लागिन पासवर्ड का उपयोग व अन्य तरीके से यह राशि अपने या परिजनों के खाते में डाल ली। बीते एक वर्ष में अलग- अलग समय में इसकी जानकारी सामने आई। सभी जिलों की मिलाकर यह राशि लगभग 65 लाख रुपये है। यह राशि कर्मचारियों के वेतन, भत्ते व अन्य मद की थी जो इंटीग्रेटेड फाइनेंशियल मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम (आईएफएमआइएस) सॉफ्टवेयर के माध्यम से उनके खातों में स्थानांतरित की जानी थी।

यहां सामने आई गड़बड़ियां
मिली जानकारी के अनुसार अभी तक छह जिलों में गड़बड़ियां सामने आई है। 34वीं बटालियन धार में सहायक उपनिरीक्षक (एम) दिग्विजय सिंह चौहान ने डीडीओ की आईडी- पासवर्ड से लॉगिन कर स्वयं एवं परिवार के सदस्यों के खाते में 42 लाख रुपये डाल लिए। इस मामले में प्रकरण पंजीबद्ध करने के बाद आरोपित की सेवा समाप्त कर दी गई है। नर्मदापुरम में उप निरीक्षक स्तर के बाबू योगेश जेलेकर ने डीडीओ के लागिन से सरकारी खजाने के 21 लाख रुपए अपने परिचितों के आद खातों में डाल लिए। गड़बड़ी वर्ष 2018-19 से वर्ष 2022-23 के बीच की गई। इस मामले में अपराध कायम कर आरोपित को निलंबित किया गया है। शिवपुरी में प्रधान आरक्षक मुकेश कुमार सविता ने कर्मचारियों के एक लाख 35 हजार रुपये संबंधित खातों में न जमाकर स्वयं और परिवार के सदस्यों के खाते में डाल लिए। धोखाचड़ी सहित अन्य धाराओं में अपराध पंजीबद्ध कर जांच की गई। अब सेवा से पृथक कर दिया गया है। एफएसएल सागर में भी वित्तीय अनियमितता सामने आई है पर यह पता नहीं चला है गड़बड़ी किसने की और कुल कितनी राशि में हेरफेर किया गया है। पीटीएस इंदौर में सहायक उपनिरीक्षक कविता सोलंकी ने कर्मचारियों के परियर के एक लाख 35 हजार रुपये अपने खातों में डाले। इसी वर्ष जनवरी में मामला संज्ञान में आने के बाद निलंबित कर विभागीय जांच प्रारंभ की गई है। पुलिस अधीक्षक ग्वालियर कार्यालय में आरक्षक अरविंद सिंह भदौरिया ने पूर्व आरक्षक अंकुर जाट के सात माह के वेतन में हेरफेर किया। उसे निलंबित किया गया है। इंटीग्रेटेड फाइनेंशियल मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम (आईएफएमआइएस) सॉफ्टवेयर के माध्यम से की गई यह गड़बड़ी कोषालय ने पकड़ी और पुलिस मुख्यालय को सूचित किया। मुख्यालय की जांच में गड़बड़ी मिलने के बाद जिम्मेदार पुलिसकर्मियों के विरुद्ध बर्खास्तगी और निलंबन की कार्रवाई की गई है। कुछ मामलों में अभी जांच चल रही है। सभी मामलों में विभागीय जांच भी प्रारंभ कर दी गई है।

शिवपुरी, नर्मदापुरम, 34 वीं बटालियन धार, पीटीएस इंदौर, फोरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) सागर और पुलिस अधीक्षक कार्यालय ग्वालियर में यह गड़बड़ी मिली है। बता दें कि भोपाल के आरजीपीवी में 19 करोड़ रुपये अपने खातों में डालने का मामला आया था। इसके अतिरिक्त उज्जैन की सेंट्रल जेल कर्मचारियों की पीएफ की राशि के गबन का मामला दो वर्ष पहले आ चुका है। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कल्याण) अनिल कुमार का कहना है कि जिन जिलों में गड़बड़ी करने वालों की पहचान हो गई है वहां एफआईआर भी करा दी गई है। उनके विरुद्ध कार्रवाई भी की गई है। विभागीय जांच चल रही है।

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