रातापानी होगा प्रदेश का आठवां टाइगर रिजर्व

मप्र ऐसा राज्य है, जहां देश के सर्वाधिक टाइगर पाए जाते हैं। यही नहीं प्रदेश में उनकी संख्या में भी तेजी से वृद्धि हो रही है जिसकी वजह से उनका रहवास क्षेत्र कम पड़ने लगा हैं, ऐसे में नए टाइगर रिजर्व की लंबे समय से जरूरत महसूस की जा रही थी। इसके लिए प्रदेश के वन महकमे द्वारा एक नया टाइगर रिजर्व  बनाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था , जिस पर केंद्र ने अपनी सैंद्धांतिक मंजूरी प्रदान की थी। इसके बाद इस प्रस्ताव पर अब राज्य सरकार ने भी मुहर लगा दी है, जिससे प्रदेश में आठवां टाइगर रिजर्व का रास्ता खुल गया है।  अब इस मामले में सिर्फ अधिसूचना जारी होने का ही इंतजार बना हुआ है। इस नए टाइगर रिजर्व  का नाम रातापानी टाइगर रिजर्व होगा। इसके पहले प्रदेश में सातवां टाइगर रिजर्व 16 साल पहले बनाया गया था।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश के बाद वन विभाग रातापानी को टाइगर रिजर्व बनाए जाने की तैयारी में लगा हुआ है। उल्लेखनीय है कि यह नया टाइगर रिजर्व भोपाल के अलावा तीन जिलों के इलाके में प्रस्तावित है। दरअसल रातापानी में तेजी से टाइगरों की संख्या में वृद्धि हो रही है, जिसकी वजह से वे लगातार रहवास इलाकों में भी आ जाते हैं। भोपाल के आसपास यह इलाका होने से वे लगातार आबादी वाले इलाकों में घूमते देखे जा सकते हैं। इसके बाद भी इस इलाके में बड़ी संख्या में निर्माण कार्य जारी है। यह वो इलाका है, जहां पर प्रदेश में सर्वाधिक बाघ पाए जाते हैं। रातापानी सेंचुरी के कोर एरिया में 33 गांव ऐसे हैं, जिनका विस्थापन होना है। इन गांवों का विस्थापन टाइगर रिजर्व बनने के बाद किया जाएगा। इसकी तैयारी भी वन विभाग ने शुरू कर दी है।
33 गांवों का होना है विस्थापन
रातापानी के कोर एरिया में आने वाले 37 गांवों का विस्थापन किया जाना है। इनके विस्थापन के लिए पहले ही सहमति पहले ही मिल चुकी है। गांवों का विस्थापन एक लंबी प्रक्रिया है। टाइगर रिजर्व बनने के बाद गांवों के विस्थापन की प्रक्रिया शुरू होगी। कोर एरिया में आने वाले गांवों का विस्थापन धीरे धीरे किया जाएगा। प्रस्तावित टाइगर रिजर्व का कोर क्षेत्र 763.812 वर्ग किमी है। वहीं बफर एरिया 480.706 वर्ग किमी का है। नए प्रस्ताब में टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र और बफर क्षेत्र का दायरा कम कर दिया है।
सर्वाधिक बाघ रातापानी सेंचुरी में
रातापानी अभयारण्य प्रदेश का एक मात्र ऐसा अभयारण्य हैं, जिसमें पन्ना, सतपुड़ा, संजय दुबरी और रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व से भी ज्यादा बाघ हैं। राजधानी के आसपास ही एक दर्जन से ज्यादा बाघों का मूवमेंट है। यही नहीं इस इलाके में उनकी संख्या में लगातार वृद्धि भी दर्ज हो रही है। यही वजह है कि केंद्र सरकार पहले ही रातापानी को टाइगर रिजर्व बनाए जाने की सैद्धांतिक मंजूरी दे चुकी है, लेकिन इसमें प्रदेश के वन महकमे द्वारा देरी की जा रही थी, जिसकों लेकर मुख्यमंत्री तक को नाराजगी जाहिर करनी पड़ी थी। रातापानी को टाइगर रिजर्व बनाए जाने की प्रक्रिया साल 2008 से चल रही है। साल 2022 में अंतिम प्रस्ताव तैयार हुआ था। इसके बाद से बैठकें तो खूब हुई, लेकिन प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी।