आखिर क्यों एकाएक शिवराज को मालवा निमाड़ में किया सक्रिय?
RSS की मध्यप्रदेश में तगड़ी नजर, अलग अलग मायने निकाल रहे राजनीति कथाकार
इंदौर। मध्य प्रदेश के 17 वर्ष तक मुख्यमंत्री रहे और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान का कद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कैबिनेट में लगातार बढ़ रहा है। पार्टी संगठन भी उन पर पूरा भरोसा कर रहा है। इसी कारण पार्टी ने उन्हें नवंबर में होने जा रहे झारखंड विधानसभा चुनाव का प्रभारी बनाया है।
टिकट वितरण के बाद अब उन्हें चुनाव प्रबंधन संबंधी निर्णयों के लिए फ्री हैंड दे दिया गया है। हाल ही में शिवराज सिंह को पीएम की फ्लैगशिप योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन पर नजर रखी गई है।
भाजपा में शिवराज सिंह चौहान के बढ़ते महत्व से मालवा और निमाड़ के भाजपा के अंदरूनी सियासी समीकरण बदलने वाले हैं। डॉ मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने से इस अंचल के शिवराज समर्थक नेताओं का महत्व कम हो गया था, लेकिन लगता है कि अब फिर से संतुलन की स्थिति आ जाएगी।
मालवा और निमाड़ अंचल में शिवराज सिंह चौहान के समर्थकों का एक समय बोलबाला था, लेकिन पिछले दिसंबर के बाद से यह स्थिति बदल गई। शिवराज सिंह चौहान के समर्थक खुद को कमजोर स्थिति में पा रहे थे, लेकिन लगता है कि अब स्थिति फिर से बदलेगी। मालवा और निमाड़ अंचल में सांसद शंकर लालवानी, गजेंद्र पटेल, ज्ञानेश्वर पाटिल, अनिल फिरोजिया, सुधीर गुप्ता और महेंद्र सिंह सोलंकी शिवराज सिंह चौहान के समर्थक माने जाते हैं।
यही स्थिति विधायकों में भी है। दरअसल, शिवराज सिंह ऐसे नेता हैं, जिनमें जनता आम आदमी की छवि देखती है। उनका जनता से जुड़ने का तरीका बहुत ही सहज, सरल है। यही वजह है कि झारखंड में भी उनकी प्रचार शैली लोकप्रिय हो रही है। ओबीसी वर्ग को साधने की जिम्मेदारी भी उन्हीं पर है। आदिवासी क्षेत्रों में शिवराज की रैली और सभाओं में भी भीड़ उमड़ रही है।
वैसे तो भाजपा अपने दिग्गज नेताओं को जाति या समाज के चेहरे के रूप में पेश नहीं करती, लेकिन जातिगत समीकरणों को साधने के लिए उपयोग करने में भी पीछे नहीं रहती।
ऐसे ही शिवराज सिंह चौहान का ओबीसी चेहरे के रूप में भाजपा में प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। दरअसल, पहले भी शिवराज सिंह दूसरे राज्यों में चुनाव प्रचार में शामिल होते रहे हैं, साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय कार्यक्रमों में आमंत्रित होते रहे हैं, लेकिन वर्तमान परिदृश्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बढ़ते भरोसे के बीच शिवराज की राष्ट्रीय स्तर पर उपस्थिति के खास मायने निकाले जा रहे हैं।
भाजपा झारखंड में अपना वोट शेयर 51 प्रतिशत करने के लिए प्रयास कर रही है। यहां ओबीसी मतदाताओं की संख्या 40 प्रतिशत के आसपास है। पिछले चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने ओबीसी आरक्षण की सीमा 14 से बढ़ाकर 27 करने का वादा किया था। भाजपा ने भी इसे चुनावी मुद्दा बनाया था।
शिवराज सिंह की छवि सफलतम मुख्यमंत्री के साथ किसानों, बेटियों और बुजुर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाओं से बदलाव लाने की है। इसका लाभ झारखंड में भी देखने को मिल रहा है। जनता को अपनेपन से जोड़ना हो, महिला और बुजुर्गों के हित की योजना हो या सनातन धर्म का कोई विषय, शिवराज सिंह चौहान किसी भी मौके पर मंच लूटने वाले अग्रिम पंक्ति के वक्ताओं में शामिल हैं।