उज्जैन विकास प्राधिकरण हक्कानीपुरा, खिलचीपुर और उण्डासा की 132.50 हेक्टेयर जमीन पर बड़ी कॉलोनी बनाएगा

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स्कीम में शामिल खसरा नंबर व जमीन मालिकों जानकारी प्रकाशित की गई

दैनिक अवन्तिका उज्जैन

मध्य प्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 50 की उप धारा एक के अधीन उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा नगर विकास स्कीम 7 की घोषणा करते हुए ग्राम हक्कानीपुरा, खिलचीपुर एवं उंडासा की भूमि पर आवास योजना बनाने की घोषणा की गई है ।इस आवास योजना के लिए कुल 132.502 हेक्टर जमीन अधिसूचित की गई है जिसमें हक्कानिपुरा की 74.648 हेक्टर भूमि, ग्राम खिलचीपुर की 54.962 हेक्टेयर जमीन तथा उंडासा की 2.891 हेक्टर जमीन पर आवास योजना प्रस्तावित की गई है।
योजना अंतर्गत ग्राम खिलचीपुर की कुल निजी भूमि 53.012 हेक्टेयर एवं शासकीय भूमि 1.950 हेक्टेयर, ग्राम हक्कानिपुरा में कुल निजी भ 72.04 हेक्टेयर एवं शासकीय 2.65 हैक्टेयर ग्राम उंडासा की 2.891 हेक्टेयर निजी भूमि सम्मिलित की गई है। उज्जैन विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन द्वारा जारी की गई इस अधिसूचना में भूमि स्वामियों को निर्देशित किया गया है कि आवास योजना में सम्मिलित किए गए क्षेत्र के भीतर किसी प्रकार का भूमि का उपयोग या भवन में परिवर्तन या कोई भी विकास कार्य संचालक नगर तथा निवेश की अनुमति के प्राप्त के बिना नहीं किया जा सकेगा।
उल्लेखनीय है कि निजी क्षेत्र की जमीनों में ग्राम हक्कनपुरा में खसरा नंबर एक की 3.293 हेक्टर, खसरा नंबर 5 की 2.6 हेक्टर तथा खसरा नंबर 65 की 2.174 हेक्टेयर जमीन इस आवासीय परियोजना में शामिल की गई है जो कि सर्वाधिक है। इसी तरह खिलचीपुर में खसरा नंबर 351 की 4.881 हेक्टर, खसरा नंबर 317 की 3.522 हेक्टर तथा खसरा नंबर 264/1 की 2.059 हेक्टेयर जमीन आवास योजना में अधिसूचित गई है। उंडासा गाँव में इसी तरह सर्वाधिक भूमि खसरा नंबर 49 की 1.78 हेक्टर शामिल की गई है।

 

जमीन का अधिग्रहण किस तरह होगा यह अभी स्पष्ट नहीं
उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा जारी की गई अधिसूचना में अभी यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि उक्त निजी क्षेत्र की भूमि का अधिग्रहण आवास योजना के लिए किस तरह से किया जाएगा, जिस तरह की चर्चाएं इस मामले में चली है उससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि जमीन मालिकों को विकसित प्लाट और मूल्य दोनों देकर ही जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। यह बात भी उल्लेखनीय है कि इस क्षेत्र की जमीन की बाजार दर काफी बढ़ चुकी है और एक बीघा जमीन करोड़ों रुपए में बिक रही है। ऐसी स्थिति में यदि उक्त जमीन शासकीय अधिग्रहण की दर से अधिकृत की जाती है तो निश्चित रूप से किसानों का इसमें काफी प्रतिरोध होगा।

उज्जैन विकास प्राधिकरण बड़ा व्यापारी बना
उल्लेखनीय है कि प्रदेश में विकास प्राधिकरणों और हाउसिंग बोर्ड का गठन इसलिए किया गया था कि आवासहीन लोगों को सस्ते दरों पर मकान व भूखंड विकसितकर उपलब्ध कराया जा सके लेकिन दोनों  ही संस्था व्यावसायिक हो गई है, इनके द्वारा विकसित की जाने वाले कॉलोनी के दाम निजी क्षेत्र मुकाबले में कहीं कम नहीं होते हैं। साथ ही विकास कार्यों की गुणवत्ता और मकान की क्वालिटी भी भरोसेमंद नहीं होती है।
विकास प्राधिकरण तो आजकल अपनी विभिन्न कॉलोनी में छूटे हुए भूखंडों की आॅक्शन के माध्यम से बिक्री कर रहा है। जिससे शहर में जमीनों के रेट आसमान छू रहे हैं। जिन आवासहीनों के नाम पर इन संस्थानों गठन हुआ था उन आवासहीनों को तो इन कॉलोनी  में पैर रखने के लिए जगह नहीं मिलती है।
सभी प्लॉट्स और मकान उच्च वर्ग के लोग  और दलाल ले जाते हैं और बाद में उनकी खरीद बिक्री करके करोड़ों रुपए का मुनाफा कमाते हैं। ऐसी स्तिथि में नई बनने वाली कॉलोनी में 500 वर्गफीट के भूखंड व मकान  केवल निम्न वर्ग  के लिए आरक्षित होना चाहिए। साथ ही इनका आवंटन करने के बाद इनका हस्तांतरण असंभव बना देना चाहिए जिससे लोग अपने घरों में रहकर जीवन यापन कर सकें तभी विकास प्राधिकरण अपनी  सार्थकता सिद्ध कर पायेगा।

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