सीएम राईज स्कूल की बसों में प्राइवेट स्कूल के बच्चे कर रहे सफर
सुसनेर। सरकारी फरमान पर कितना अमल होता है यह तो हम सभी जानते है। लेकिन शिक्षा के मंदिरो में ही शासन के आदेशो की धज्जियां उडाई जा रही हो तो फिर किसी और विभाग से क्या ही उम्मीद की जा सकती है। शिक्षा विभाग ने सीएम राईज स्कूल के बच्चो को निजी स्कूलो की तर्ज पर वाहन सुविधा उपलब्ध कराते हुएं बसों के जरीए उन्हे स्कूल लाने व स्कूल से घर छोडने के लिए नई पहल की शुरूआत की। शहर में डग रोड पर संचालित सीएम राईज स्कूल में पहले तो ठेका कम्पनी के द्वारा पुरानी कंडम बसों का संचालन शुरू किया गया था और अब नई बसे यहां पर अटैच कर तो दी गई है लेकिन इन बसो में सीएम राईज स्कूल के बच्चे कम ब्लकी प्राइवेट स्कूलो के बच्चे ज्यादा सफर कर रहे है। इस सम्बंध में हमने शिक्षा विभाग के अधिकारीयों से लेकर सम्बंधित ठेकेदार से भी चर्चा की तो सभी इस लापरवाही की जवाबदारी लेने से पल्ला झाडते हुएं नजर आए। जिन िनजी स्कूलो के बच्चे सीएम राईज स्कूल की बसो में सफर तय कर रहे है उनके अभिभावको को तो यही पता है की उनके बच्चे निजी स्कूलो की बसो में ही स्कूल आना जाना कर रहे है और इसकी एवज में सभी प्राइवेट स्कूल संचालक अभिभावको से मोटी रकम भी वसूल रहे है। यह पूरा खेल जब से चल रहा है तब से वर्तमान शिक्षा सत्र शुरू हुआ है। ऐसे में सवाल यह उठता की आखिरकार जिम्मैदारों ने अभी तक इस पर कार्रवाई क्यों नहीं की।
आरटीओ की जांच भी संदेह में
कुछ दिनो पूर्व जिला कलेक्टर राघवेन्द्रसिंह के आदेश पर जिला परिवहन अधिकारी बरखा गोड के द्वारा जिलें के सभी सरकारी व निजी स्कूलो के वाहनो की जांच की थी। ऐसे में आरटीओ अधिकारी पर सवाल उठते है की जब शिक्षा सत्र के शुरूआत से ही यह खेल चल रहा है तो फिर उन्होने इस बिंदु पर जांच क्यों नहीं की और इस लापरवाही को लेकर कार्रवाई भी अभी तक कें नहीं की यह भी बडा सवाल है।
जहां-तहा खडी रहती है स्कूल की बसे
सीएम राईज स्कूल की बसे बच्चों को स्कूल लाने व उन्हे घर छोडने के बाद बचे समय में स्कूल परिसर में ही खडे रखने का प्रावधान है लेकिन ये बसे जहा-तहा खडी रहती है। कभी इन बसों को निजी स्कूलो के आसपास तो कभी किसी ग्राउंड में खडा कर दिया जाता है। ऐसे में इन बसों के साथ कोई घटना घटीत हो भी गई तो फिर इसका जिम्मैदार कोन होगा भगवान ही जाने।