प्रोटोकॉल के नाम पर अब नहीं कर सकेंगे अनाधिकृत लोग महाकाल के दर्शन

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उज्जैन। महाकाल मंदिर में अब प्रोटोकॉल के नाम पर अनाधिकृत लोग दर्शन नहीं कर सकेंगे। महाकाल मंदिर प्रशासन ने अब प्रोटोकॉल दर्शन व्यवस्था में परिवर्तन कर दिया है। मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ का कहना है कि शिकायत प्राप्त हो रही थी कि प्रोटोकॉल के नाम पर अनाधिकृतों को दर्शन कराए जा रहे है लेकिन अब व्यवस्था बदलने से इस मामले में रोक लग सकेगी।

महाकाल मंदिर में प्रोटोकॉल दर्शन व्यवस्था में परिवर्तन किया गया है। प्रोटोकॉल दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को अब फॉर्म भी भरना पड़ेगा। मंदिर समिति ने फार्म में दान का स्वैच्छिक विकल्प दिया है। इसमें दर्शनार्थी अगर दान करना चाहते हैं तो राशि का उल्लेख कर सकते हैं। मंदिर प्रशासन ने मानसरोवर फैसिलिटी सेंटर स्थित प्रोटोकॉल कार्यालय को बंद कर त्रिनेत्र भवन में नया कंट्रोल रूम बनाया है। मंदिर प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि मंदिर में प्रोटोकॉल के नाम पर अनधिकृत लोगों को दर्शन कराए जाने की शिकायत मिल रही थी।  जांच के दौरान दर्शन व्यवस्था में कुछ खामियां नजर आईं, इसके बाद सुधार के कदम उठाए जा रहे हैं। अब तक प्रोटोकॉल कार्यालय से वीआईपी दर्शन का सिलसिला केवल फोन पर चल रहा था। इसमें कुछ कर्मचारी पात्र लोगों के साथ कई अन्य लोगों को भी पाइंट में जोड़कर वीआईपी दर्शन करा रहे थे। मौखिक तौर पर चल रही इस व्यवस्था में यह पता लगाना मुश्किल हो रहा था कि पाइंट कितने लोगों का आया है और दर्शन कितने लोगों को कराए जा रहे हैं।  महाकाल मंदिर में सांसद, मंत्री, विधायक, प्रमुख विभाग तथा राजनीतिक दलों का कोटा निर्धारित है। इनकी सिफारिश पर विशिष्टजन को विशेष सुविधा के साथ दर्शन कराए जाते हैं। इसके लिए प्रति व्यक्ति ढाई सौ रुपये का शुल्क निर्धारित है। हालांकि विशेष अनुमति पर कुछ लोगों को नि:शुल्क दर्शन भी कराए जाते हैं।

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