आज देव उठनी ग्यारस पर मुहूर्त के  लग्न नहीं, नवंबर में भी केवल दो मुहूर्त

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– इस बार मुहूर्त का गणित बिगड़ रहा, अक्षय तृतीया जैसे दिन भी दोपहर बाद ही हो सकेंगे विवाह

 

दैनिक अवंतिका उज्जैन। 

आज देवउठनी ग्यारस जैसे खास दिन भी विवाह के लिए श्रेष्ठ व शुभ मुहूर्त नहीं है। हालांकि लोग इस दिन को अबूझ मुहूर्त मानकार अपने हिसाब से शादी कर सकते हैं। लेकिन पंडितों से विवाह के लिए नवंबर में इस दिन छोड़कर लग्न निकाले हैं। 

इस सीजन में शादियों के मुहूर्त को लेकर गणित बिगड़ रहा है। अक्षय तृतीया जैसे बड़े दिन भी दोपहर के बाद ही लग्न हो सकेंगे। नवंबर में ही शादी के लिए केवल दो ही दिन श्रेष्ठ मुहूर्त होंगे। देव प्रबोधिनी एकादशी से देव जागते है और शुभ कार्यों की शुरुआत होती है। लेकिन इस बार ग्रह-नक्षत्र आगे-पीछे होने के चलते मुहूर्त का गणित बिगड़ रहा है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित अमर डब्बावाला ने बताया कि 12 नवंबर को देव उठनी एकादशी से मान्यता अनुसार तो शादियां शुरू हो जाती है। लेकिन इस बार मुहूर्त में कमी है। नवंबर में भी देखे तो शादी के लिए केवल दो ही दिन 16 और 22 नवंबर को श्रेष्ठ मुहूर्त है। 

अगले महीने दिसंबर में 3 मुहूर्त फिर 8 जून तक शादियां 

नवंबर में दो मुहूर्त के बाद अगले महीने दिसंबर में 3, 4 व 14 दिसंबर को शादियां होंगी। इसके बाद  तो आगे 8 जून 2025 तक शादियों के अलग-अलग तारीखों में कई मुहूर्त आएंगे। हालांकि बीच में 12 जून से 8 जुलाई तक गुरु तारा अस्त होने के चलते शादियां रुकेंगी। फिर चार माह चातुर्मास में देवशयनी एकादशी लगने के चलते 6 जुलाई 2025 को शादियां बंद हो जाएंगी, फिर 2 नवंबर 2025 से शुरू होंगी।

ग्रह-नक्षत्रों का संयोग ठीक से नहीं 

बनने पर विवाह का गणित बिगड़ रहा

ग्रहों की गणना के आधार पर बात करें तो देवउठनी एकादशी से लेकर देव शयनी एकादशी तक चालीस मुहूर्त हैं। 12 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर तुलसी सालिगराम का विवाह होंगे। धर्म-शास्त्र की मान्यता भी यह है कि जब तुलसी-सालिगराम का विवाह होता है तो अन्य विवाह नहीं करें।जो लोग शास्त्रीय अभिमत को नहीं समझते हैं, वे अबूझ मुहूर्त की श्रेणी को मानकर विवाह कर लेते हैं। लेकिन ग्रह-नक्षत्र का संयोग ठीक से नहीं बनता है तो मुहूर्त नहीं निकल पाते हैं। 

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