22 हजार मेगावॉट तक पहुंच गई बिजली की मांग, किसानों को दस घंटे बिजली देने का दावा
उज्जैन। उज्जैन जिले सहित पूरे प्रदेश में बिजली की मांग में हर दिन ही बढ़ोतरी हो रही है। बिजली कंपनी के अधिकारियों की यदि माने तो बिजली की मांग 22 हजार मेगावॉट तक पहुंच गई है। इधर सरकार ने एक बार फिर जिले सहित पूरे प्रदेश के कृषि उपभोक्ताओं अर्थात किसानों को लगातार दस घंटे बिजली देने का दावा किया है। इससे किसानों को बिजली की आपूर्ति में किसी तरह से परेशानी नहीं होगी।
बिजली कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि इस बार संभावना जताई जा रही है कि बिजली की मांग का पिछला रिकॉर्ड टूट सकता है। जानकारों का कहना है कि प्रदेश में सिंचाई के संसाधन बढऩे, औद्योगिक विकास और बढ़ते शहरीकरण के कारण प्रदेश में बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है। पिछले पांच साल में बिजली की डिमांड 3 हजार मेगावॉट से अधिक बढ़ गई। बिजली की सबसे ज्यादा मांग पिछले साल बढ़ी थी।
बिजली कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि इस बार संभावना जताई जा रही है कि बिजली की मांग का पिछला रिकॉर्ड टूट सकता है। जानकारों का कहना है कि प्रदेश में सिंचाई के संसाधन बढऩे, औद्योगिक विकास और बढ़ते शहरीकरण के कारण प्रदेश में बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है। पिछले पांच साल में बिजली की डिमांड 3 हजार मेगावॉट से अधिक बढ़ गई। बिजली की सबसे ज्यादा मांग पिछले साल बढ़ी थी।
गौरतलब है कि मप्र वर्तमान में ही अपनी मांग की अपेक्षा अधिक बिजली का उत्पादन कर रहा है। मप्र में उत्पादित होने वाली अतिरिक्त बिजली दूसरें राज्यों को बेची जाती है। वहीं ,मप्र पॉवर जनरेशन कंपनी आगामी वर्षों में बिजली उत्पादन का लक्ष्य और बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है। बिजली की अधिक उपलब्धता होने की वजह से प्रदेश की पावर जनरेशन कंपनी दूसरे राज्यों के उद्योगों को सस्ती दरों में बिजली बेच देती है। दूसरे राज्यों के उद्योगों को 5 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली बेची जाती है। पिछले तीन से चार महीने में पॉवर जनरेशन कंपनी ने करीब 400 करोड़ रुपए की 84 करोड़ यूनिट बिजली बेची है। यह बिजली लगभग 5 रुपए प्रति यूनिट की दर से बेची जाती है। इससे महंगी बिजली प्रदेश के घरेलू बिजली उपभोक्ताओं को मिलती है। साल 2021-22 की तुलना में पिछले साल बिजली की डिमांड 1894 मेगावॉट अधिक थी। इस बार बिजली की डिमांड पिछला रिकॉर्ड भी तोड़ सकती है। प्रदेश में दिसंबर से जनवरी तक बिजली की सबसे ज्यादा डिमांड रहती है। डिमांड बढऩे की वजह किसानों के लिए बिजली की मांग बढऩा है। दिसंबर से जनवरी के बीच खेतों में सिंचाई के लिए बिजली की जरूरत होती है। इससे बिजली की मांग बढ़ जाती है। साल 2018-19 में प्रदेश में बिजली की डिमांड 14089 मेगावॉट थी। अब बिजली की डिमांड 17 हजार मेगावॉट से अधिक हो गई है। बढ़ती बिजली की डिमांड की वजह सिंचित खेती का रकवा बढऩा है। इधर पॉवर जनरेशन कंपनी के पास 22 हजार मेगावॉट से अधिक बिजली की उपलब्धता है। बिजली कंपनी का दावा है कि प्रदेश में अधिक बिजली की मांग की पूर्ति की जा सकती है। इस साल के अंत तक या अगले साल की शुरुआत में प्रदेश में बिजली की डिमांड 18 हजार मेगावॉट तक पहुंच सकती है। इसकी तैयारी भी बिजली कंपनी ने शुरू कर दी है।