रिटायर्ड इंजीनियरों के कारण उज्जैन विकास प्राधिकरण के 200 करोड़ से अधिक के निर्माण कार्य ठप पड़े……
रिटायरमेंट के बाद भी कमीशन बाजी के लिए 3 इंजीनीयर नौकरी में घुसे
ब्रह्मास्त्र उज्जैन
रिटायर्ड इंजीनियरों के कारण उज्जैन विकास प्राधिकरण के 200 करोड़ से अधिक के निर्माण कार्य ठप पड़ गए हैं। भारी कमीशन के पीछे कई ठेकेदार तो विकास प्राधिकरण का काम छोड़कर भाग गए हैं। सूत्र बताते हैं कि विकास प्राधिकरण अपने सभी निर्माण कार्यों में ग्यारह प्रतिशत कमिशन ठेकेदारों से लेता है। जबकि अन्य विकास प्राधिकरण जिनमें भोपाल, इंदौर आदि शामिल हैं वहां 5 प्रतिशत पीसी चलती है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रिटायरमेंट के बाद कार्यपालन यंत्री राकेश गुप्ता, सहायक यंत्री महेश गुप्ता और नवीन साध जो जून, जुलाई, अगस्त में रिटायर हुए थे को प्राधिकरण के गैर राजनीतिक बोर्ड जिसके अध्यक्ष संभाग आयुक्त है के द्वारा री-डीप्लॉयमेंट पर नौकरी में रख लिया गया हैं। इन लोगों ने बाकायदा नौकरी शुरू कर दी और जो भी निर्माण कार्य टीडीएस 03, टीडीएस 04, सीएम राइज और सी -21 मॉल के पास बन रही रेसकॉम बिल्डिंग के कार्य चल रहे हैं।
यह मामला करीब 2 महीने से चल रहा और ठेकेदारों के बिल अटके पड़े हैं भुगतान नही हो रहा है। इस बार ठेकेदारों और लेबर की दिवाली भी काली हो गई। ठेकेदार प्राधिकरण सीईओ पर दबाव डाल रहे हैं कि इस प्रकरण का निराकरणकरें लेकिन रि- डिप्लॉयमेंट मामले में खुद के शामिल होने के कारण प्राधिकरण सीईओ भी कोई हल निकालने की स्थिति में नहीं है। अब सभी ठेकेदार मिलकर अध्यक्ष संभागआयुक्त से शिकायत करने की योजना बना रहे हैं साथ ही जिस तरह से नगर निगम में भुगतान को लेकर ठेकेदार के हाईकोर्ट गए थे उसी तरह की कार्यवाही करने का मन बना रहे हंै।
उन सभी कार्यों के बिलिंग के सर्टिफिकेशन का काम शुरू कर दिया। बिलिंग का सर्टिफिकेशन करने पर ही ठेकेदारों द्वारा इंजीनियर को पीसी दी जाती है । पीसी के लालच में इन्होंने अधिकार न होते हुए भी काम को सर्टिफाइड कर दिया और जब बिल आॅडिट में गए तो आॅडिटर द्वारा बिल यह कहकर रोक दिए गए कि इनको यानि संविदाकर्मियों को सर्टिफिकेशन करने का अधिकार नहीं है यह रेगुलर सर्विस में नहीं है। अब क्योंकि यह तीनों लोग बड़ा लेनदेन कर सर्विस में घुसे थे तो झगड़ा लगा रहे हैं कि बिल हम ही प्रमाणित करेंगे और इन सभी कार्यों की पीसी भी हम ही लेंगे। हालाँकि रेगुलर इंजीनियरिंग के हस्ताक्षर होने पर ही ठेकेदारों के बिल पारित होंगे।