कश्मीर फाइल्स पर एक्टर अखिलेंद्र मिश्रा की दो टूक : यह फिल्म नहीं, यथार्थ
जो काम यह सरकार कर रही, अब तक किसी ने नहीं किए, कुछ लोगों को यह पच नहीं रहा
ब्रह्मास्त्र इंदौर। फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ इन दिनों बहस का विषय बनी हुई है। कुछ कथित प्रबुद्धजन कह रहे हैं कि सरकार की ओर से यह फिल्म इरादतन बनवाई गई है। यह दोनों मजहबों के बीच दूरी और भी बढ़ा रही है। यह फिल्म नहीं यथार्थ है। कल का यथार्थ जो आज के यथार्थ को पच नहीं रहा है और अगर बनवाई भी गई है, तो झूठ क्या दिखाया जा रहा है। गलत क्या दिखाया जा रहा है। जो हुआ वही तो दिखाया गया है। यह पहली बार नहीं है जब कोई यथार्थ वादी फिल्म दुनिया को खटक रही है। ऐसी फिल्में पहले भी बनती रही हैं और कमर्शियल सिनेमा को, कुछ वर्ग विशेष के लोगों को पहले भी इनसे तकलीफ होती रही है। यह कहना है प्रेस्टिज इंस्टिट्यूट में चल रहे फिल्म फेस्टिवल में शामिल होने इंदौर आए अभिनेता अखिलेंद्र मिश्रा (चंद्रकांता सीरियल फेम) का।
लोग कहते थे शास्त्री जी ने बनवाई पूरब और पश्चिम
वर्ष 1970 में जब पूरब और पश्चिम फिल्म आई थी, तब भी कहा गया था कि यह फिल्म तो लाल बहादुर शास्त्री ने अपने हितों के लिए बनवाई है। ऐसी तोहमतों से सत्य पर कोई असर नहीं होता। मेरे हिसाब से तो यह सही मौका है, जब जाति विशेष को यह कहना चाहिए हां, जो कश्मीर में हुआ, कश्मीरी पंडितों के साथ जो हुआ वह बर्बर था। दुर्भाग्यपूर्ण था। क्यों नहीं कहते वे यह।
फिल्म के 100 करोड़ क्लब में शामिल होने की तकलीफ
कमर्शियल सिनेमा वाले जो कश्मीर फाइल्स को नफरत पैदा करने वाली फिल्म बता रहे हैं, उन्हें यह तकलीफ है कि बिना किसी बड़े स्टार के, बगैर नाच गाने के, ऐसी यथार्थ वादी फिल्म 100 करोड़ कैसे कमा गई। रही सरकार की ओर से इसे बनवाने की बात तो यह तो अच्छा संकेत है। सरकार ने आज तक फिल्म इंडस्ट्री को इंडस्ट्री माना ही नहीं। तभी तो देश में चप्पल-जूतों की इंडस्ट्री भी 25 हजार करोड़ की हो गई और हम अब भी 5 हजार करोड़ पर ही अटके हैं।