डालर की जगह बेग में निकली थी कागज की गड्डियां
उज्जैन। आदिम जाति कल्याण विभाग से सेवानिवृत्त अधिकारी को डालर देने का झांसा देकर 4 लाख से भरा बेग लेकर भागने वाले बदमाशों का एक साथी पुलिस की गिरफ्त में आ गया है। बदमाश को रिमांड पर लिया गया है। उसके साथियों की तलाश में एक टीम शहर से बाहर भेजी गई है। देवास के शंकरग़ढ़ बालगढ़ में रहने वाले हरिनारायण पिता पन्नालाल आदिम जाति कल्याण विभाग से सेवानिवृत्त है। 20 नम्बर को उन्हे 3 बदमाशों ने उज्जैन नानाखेड़ा बस स्टेंड पर बुलाया। बदमाशों ने उन्हे कम कीमत में लाखों के डालर देने का झांसा दिया था। हरिनारायण 4 लाख का बेग लेकर डालर लेने आये थे। 3 बदमाशों ने रूपयों से भरा बेग लेने के बाद डालर का बेग दिया था और चकमा देकर भाग निकले थे। बेग में डालर की जगह कागज की गड्डियां भरी होना सामने आई थी। नानाखेड़ा पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर बदमाशों की तलाश शुरू की थी। लगातार तलाश के बाद पुलिस को सफलता मिल गई है। गिरोह में शामिल एक बदमाश जीत दास को हिरासत में लिया गया है। जो उत्तराखंड का रहने वाला बताया जा रहा है। उसके पास से पुलिस को एक डालर भी मिला है। पुलिस ने उसके साथियों की तलाश करने और 4 लाख रुपयों की बरामदगी के लिये न्यायालय में पेश कर 8 दिनों का रिमांड लिया है। एक टीम शहर से बाहर भेजी गई है। फिलहाल पुलिस मामले में कुछ भी स्पष्ट कहने से बच रही है। उसके साथियों की गिरफ्तारी होने पर पूरे मामले का खुलासा किया जायेगा।
3 दिन पहले 20 रूपये में दिया था डालर
नानाखेड़ा बस स्टेंड पर हुई वारदात के बाद सामने आया था कि सेवानिवृत्त अधिकारी के साथ हुई 4 लाख की ठगी के से कुछ दिन पहले उन्हे देवास में 2 व्यक्ति मिले थे और डालर नोट दिखाकर 20 रूपये मांगे। दोनों ने सेवानिवृत्त हरिनारायण को बातों में उलझाकर अपना नाम मिलन और अजय बताकर मोबाइल नम्बर ले लिया था, 2 दिन बाद कॉल कर बताया था कि उनके पास 6 हजार डालर है। जिसे कम कीमत में दे सकते है। मोबाइल पर ही 6 हजार डालर का सौदा 4 लाख में कर लिया गया था। लालच में आये हरिनारायण रूपये लेकर 20 नवम्बर को नानाखेड़ा बस स्टेंड आ गये थे।
बेग खोलने से किया था मना
बेग में कागज की गड्डिया भरी होने पर हरिनारायण को अपने साथ धोखा होने का अभास हुआ था। उन्होने नानाखेड़ा थाने पहुंचकर पुलिस को बताया था कि तीनों ने उन्हे मौके पर बेग खोलने से मना कर दिया था। उनका कहना था कि कई लोग हमारे पीछे लगे है। आप बाद में बेग खोल लेना। वह रूपयों का बेग लेकर पैदल ही भाग निकले है। उनके जाने बाद बेग खोलने पर कागज की गड्डियां सामने आई है।