1 दिन में ही लंबित प्रकरणों की संख्या कैसे बढ़ गई हमें खुद ही नहीं पता

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प्रकरणों के निराकरण के बाद भी पेनल्टी को लेकर तहसीलदारों ने बताई पीड़ा

 

इंदौर। साहब हमने तो शनिवार को ही सारे आवेदनों का निराकरण कर दिया था फिर लंबित प्रकरणों की संख्या सामने कैसे आ रही है।
बैठक में लंबित प्रकरणों की संख्या देखकर तहसीलवार अचरज में पड़ गए और दंड होने पर पीड़ित तहसीलदारों ने अपनी व्यथा कलेक्टर के सामने रखी। उन्होंने कहा कि यह पता नहीं एक दिन में ही प्रकरण कैसे बढ़ गए। हमने तो शनिवार को ही अधिकांश प्रकरणों का निराकरण कर दिया था हमारे पास उसकी जानकारी भी है किंतु ऑनलाइन जानकारी में सुधार क्यों नहीं हुआ यह तकनीकी खराबी है। समय सीमा की बैठक में कलेक्टर ने लंबित प्रकरणों की संख्या को देखते हुए तहसीलदार सिमरोल, सांवेर, अतिरिक्त तहसीलदार राऊ, तहसीलदार खुड़ैल, बिचौली हप्सी, मल्हारगंज और खुडैल, नायब तहसीलदार बिचौली हप्सी और मानपुर प्रकरणों के समय पर
निराकरण नहीं करने के चलते अर्थ दंड लगाया है।

अर्थदंड होने के बाद अधिकारी यह कहते नजर आए कि उन्होंने अपने काम में जरा सी लापरवाही नहीं दिखाई यह तकनीकी खराबी है जिसके कारण ऑनलाइन गलत जानकारी सामने आ रही है फिर भी उन्हें दंडित होना पड़ा।
बैठक में कलेक्टर आशीष सिंह ने हेल्पलाइन के शिकायत मामलों को भी देखा। उन्होंने कहा कि कई शिकायत पचास दिन से ज्यादा का समय की है। उनके निराकरण क्यों नहीं हुए। उन्होंने हेल्पलाइन की लंबित शिकायत को लेकर भी अर्थ दंड किया है। कलेक्टर ने शिविर लगाकर लंबित प्रकरणों को निपटाने को कहा है।
कलेक्टर ने सभी राजस्व अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे राजस्व प्रकरणों का समय सीमा में निराकरण सुनिश्चित करें। समय-सीमा में प्रकरण निराकृत नहीं होने पर संबंधित अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई जाएगी।

उल्लेखनीय है कि महा अभियान के दौरान आवेदनों के निराकरण में सर्वर की खराबी सामने आ रही है जिसके कारण तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक और पटवारी परेशान होकर देर रात तक काम करने को मजबूर है। वही समय सीमा के आवेदनों के निराकरण को लेकर अधिकांश शनिवार अवकाश के दिन भी काम करते नजर आए। साथ ही हेल्पलाइन के शिकायती आवेदनों का निराकरण भी किया, किंतु उनकी जानकारी ऑनलाइन अपलोड नहीं हो पाई है।
बताया जाता है कि प्रत्येक शिकायत को बंद करने के लिए कलेक्टर के मोबाइल पर आने वाले ओटीपी की आवश्यकता होती है जिसके लिए बार-बार उनके पास जाना मुश्किल है।
इस स्थिति में शिकायत समाप्त होने के बावजूद उसे ऑनलाइन हटाना परेशानी का कारण है। तकनीकी परेशानी और ओटीपी के चलते ऑनलाइन शिकायत और आवेदन की निराकरण की सही संख्या सामने नहीं आ पा रही है।

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