स्वयं सेवकों ने शाखाओं में दंड प्रहार दिवस यज्ञ में दी आहुति विजय दिवस पर शाखाओं में हुआ दंड प्रहार यज्ञ
उज्जैन। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखाओं में सोमवार को विजय दिवस का आयोजन दंड प्रहार के साथ किया गया। इस अवसर पर शाखा में स्वयं सेवक दंड लेकर पहुंचे और उन्होंने दंड प्रहार किया। शहर भर की शाखाओं में सोमवार को यह आयोजन हुआ है। वैसे यह आयोजन प्रमुख शाखाओं में 3 दिसंबर से ही जारी थे जिसमें प्रतिदिन दंड प्रहार किए गए सोमवार को सभी शाखाओं में इस यज्ञ में आहुतियां दी गई।भारत की एकता और अखंडता को अक्षुण्य बनाए रखने की भावनाओं को बलवान और जागृत बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लाखों स्वयंसेवक 3 दिसंबर से प्रतिदिन अपनी शाखाओं पर दंड से प्रहार लगाते हैं तथा 16 दिसंबर को यह दंड प्रहार यज्ञ समाप्त होता है। संघ की शाखाओं में यह किया जाता है। सोमवार को विजय दिवस पर संघ की शाखाओं में दंड प्रहार यज्ञ देखा गया है। शहर की तकरीबन सभी शाखाओं में यह यज्ञ हुआ है।कुछ ऐसा है विजय दिवस का इतिहास-संघ के जानकार बताते हैं कि 1955 में पाकिस्तान सरकार ने पूर्वी बंगाल का नाम बदलकर पूर्वी पाकिस्तान कर दिया था। पाकिस्तान के द्वारा पूर्वी पाकिस्तान की इसलिए उपेक्षा की जाती थी कि वहां से हिंदुओं को भगाना उसका लक्ष्य था इस कारण इसके दमन की शुरुआत यहीं से हुई। पाकिस्तानी शासक-याहया खां के आदेश पर वहां का लोकप्रिय संगठन ‘आवामी लीग’ और उनके नेताओं पर अत्याचार किया जाने लगा, जिसके फलस्वरूप बंगबंधु कहे जाने वाले शेख मुजीब रहमान के नेत नेतृत्व में पूर्वी बंगाल, जिसे उस समय पूर्वी पाकिस्तान कहा जाता था में स्वाधीनता आंदोलन की शुरुआत हुई। बांग्लादेश में खून की नदियां बहने लगी पाकिस्तानी सेना ने हिंदू मुसलमान दोनों ही पर बहुत अत्याचार किए, जिसके कारण 1971 में ही लाखों बंगाली मारे गए तथा दस लाख बंगालियों को भारत में शरण लेना पड़ी उस समय यहां तक की पाकिस्तान के विमानों ने भारत अधिकृत पश्चिम बंगाल पर भी गोलाबारी करना शुरू कर दी थी। जिससे क्रुद्ध होकर तथा बांग्लादेशियों के निवेदन पर तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी जिसके परिणाम स्वरूप भारत-पाकिस्तान का भयंकर युद्ध हुआ तथा 16 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना के सामने पाकिस्तान के 93000 सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया, जिनको युद्ध बंदी बनाकर भारत के विभिन्न कैंपों में रखा गया तथा बांग्लादेश को एक आजाद मुल्क भारत के द्वारा घोषित किया गया। जिसके प्रथम राष्ट्रपति शेख मुजीब रहमान को बनाया गया था। इस युद्ध में करीब 3900 भारतीय सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए जबकि 9851 घायल हुए पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी बलों के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एके नियाजी ने भारत के पूर्वी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोडा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था। इसलिए 16 दिसंबर 1971 को युद्ध में पाकिस्तान पर भारत की जीत के कारण विजय दिवस मनाया जाता है यह युद्ध भारत के लिए ऐतिहासिक और हर देशवासी के मन को उत्साह से भरने वाला सिद्ध हुआ था।